Threat on Durga Puja: बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के सबसे बड़े धार्मिक त्योहार, दुर्गा पूजा को लेकर हालात गंभीर हो गए हैं। कट्टरपंथी संगठनों की धमकियों के चलते हिंदुओं में भय और असुरक्षा की भावना बढ़ गई है।
खुले में पूजा आयोजन और साउंड सिस्टम के इस्तेमाल पर प्रतिबंधों के साथ, दुर्गा पूजा के पंडाल अब बंद दरवाजों के पीछे ही लगाए जा रहे हैं। दुर्गा पूजा पर खतरा और कट्टरपंथियों द्वारा दिए गए अल्टीमेटम ने इस त्योहार की रौनक को फीका कर दिया है।
बांग्लादेश में हो रही इन घटनाओं से जुड़ी गंभीरता को देखते हुए, वहां के अल्पसंख्यक समुदाय के लिए यह साल विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण साबित हो रहा है। रामकृष्ण मिशन, जो हर साल कुमारी पूजा आयोजित करता है, ने इस बार कुमारी पूजा न करने का फैसला लिया है और मुख्य दुर्गा पूजा भी सभागार के अंदर ही आयोजित करने का निर्णय लिया है। यह सब कुछ कट्टरपंथियों की दुर्गा पूजा रोकने की साजिश (plot to halt Durga Puja) के चलते हो रहा है, जो समाज में तनाव और भेदभाव को बढ़ावा दे रहा है।
कट्टरपंथियों की धमकी और पूजा समितियों पर दबाव
बांग्लादेश में हिंदुओं को दुर्गा पूजा न मनाने की धमकियां मिल रही हैं। पंडाल बनाने और पूजा के दौरान साउंड सिस्टम या अन्य संगीत वाद्ययंत्रों का इस्तेमाल करने पर प्रतिबंध लगाए जा रहे हैं। पूजा समितियों को पंडाल बनाने के लिए 5 लाख टका की मांग की जा रही है। यह पैसा दुर्गा पूजा रोकने के लिए फिरौती (ransom to halt Durga Puja) के रूप में लिया जा रहा है।
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने इस मुद्दे पर आंखें मूंद ली हैं। कुछ दिन पहले ही, बांग्लादेश के गृह मंत्री ने हिंदुओं से अनुरोध किया कि वे दुर्गा पूजा के दौरान नमाज से पहले सभी साउंड सिस्टम को बंद कर दें। यह बयान कट्टरपंथियों के दबाव के सामने सरकार की लाचारी को दर्शाता है, जो कि हिंदू समुदाय के साथ किए जा रहे अत्याचारों को और बढ़ावा देता है।
हिंदुओं के खिलाफ हिंसा और घटती जनसंख्या
5 अगस्त के बाद से, जब शेख हसीना ने ढाका छोड़ा, तब से बांग्लादेश के 72 जिलों में से 62 जिलों में हिंदुओं के खिलाफ हिंसा की 2010 घटनाएं दर्ज की गई हैं। यह घटनाएं पूजा स्थलों, घरों और व्यापारिक संस्थानों पर हमलों और तोड़फोड़ से जुड़ी हैं। इस दौरान कई हिंदुओं की हत्या भी की गई है।
1971 में बांग्लादेश के गठन के समय, हिंदू आबादी 21% थी, जो अब घटकर मात्र 8.7% रह गई है। मौजूदा शासन हिंदुओं को अवामी लीग के समर्थक के रूप में देखता है और उनके खिलाफ हो रही हिंसा को रोकने के बजाय, आंखें मूंदे हुए है। इस स्थिति ने दुर्गा पूजा पर खतरा (threat on Durga Puja) और बढ़ा दिया है।
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