Tribal Students Get Allowance Hike: महाराष्ट्र के दूर-दराज़ के गाँवों में रहने वाले आदिवासी छात्रों के लिए एक अच्छी खबर आई है। राज्य सरकार ने उनके लिए हॉस्टल में मिलने वाली विभिन्न भत्तों में 40 से 100 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी कर दी है। यह फैसला मंगलवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया, जिससे करीब 58,700 आदिवासी छात्रों को फायदा होगा। ये छात्र पूरे महाराष्ट्र में फैले लगभग 490 हॉस्टलों में रहते हैं।
महाराष्ट्र के आदिवासी इलाकों में शिक्षा तक पहुँच हमेशा से एक चुनौती रही है। कई छात्रों को अपने गाँवों से दूर पढ़ने के लिए हॉस्टलों में रहना पड़ता है। राज्य का आदिवासी विकास विभाग इन छात्रों की मदद के लिए 490 हॉस्टल चलाता है, जिनमें 284 लड़कों के और 206 लड़कियों के लिए हैं। इन हॉस्टलों में रहने वाले करीब 58,700 छात्रों को सरकार भोजन, शिक्षा सामग्री और जीवन-यापन के लिए भत्ते देती है। इन भत्तों का मकसद है कि आदिवासी छात्र बिना किसी आर्थिक चिंता के अपनी पढ़ाई पूरी कर सकें।
मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में सरकार ने इन भत्तों में बढ़ोतरी का फैसला लिया। इसका कारण है बढ़ती महंगाई, जिसने रोज़मर्रा की चीज़ों को महंगा कर दिया है। तहसील और ग्रामीण स्तर के हॉस्टलों में रहने वाले छात्रों का मासिक जीवन-यापन भत्ता 500 रुपये से बढ़ाकर 1000 रुपये कर दिया गया है। ज़िला स्तर पर यह भत्ता 600 रुपये से बढ़कर 1300 रुपये हो गया है, जबकि संभागीय स्तर पर छात्रों को अब 800 रुपये की जगह 1400 रुपये मिलेंगे। लड़कियों के लिए अतिरिक्त जीवन-यापन भत्ता 100 रुपये से बढ़ाकर 150 रुपये किया गया है।
शिक्षा सामग्री के लिए सालाना भत्ता भी बढ़ाया गया है। कक्षा 8 से 10 तक के छात्रों के लिए यह भत्ता 3200 रुपये से बढ़कर 4500 रुपये हो गया है। जूनियर कॉलेज और डिप्लोमा कोर्स करने वाले छात्रों के लिए यह 4000 रुपये से बढ़कर 5000 रुपये हो गया है। डिग्री कोर्स करने वाले आदिवासी छात्रों को अब 4500 रुपये की जगह 5700 रुपये मिलेंगे। मेडिकल और इंजीनियरिंग जैसे पेशेवर कोर्स करने वाले छात्रों के लिए भत्ता 6000 रुपये से बढ़ाकर 8000 रुपये कर दिया गया है।
भोजन भत्ता भी इस फैसले का एक अहम हिस्सा है। नगर निगम और संभागीय शहरों के हॉस्टलों में रहने वाले छात्रों का मासिक भोजन भत्ता 3500 रुपये से बढ़ाकर 5000 रुपये कर दिया गया है। ज़िला स्तर के हॉस्टलों में यह 3000 रुपये से बढ़कर 4500 रुपये हो गया है। यह बढ़ोतरी सुनिश्चित करती है कि छात्रों को पौष्टिक भोजन मिले, जो उनकी पढ़ाई और स्वास्थ्य के लिए ज़रूरी है।
इस आदिवासी छात्र भत्ता (Tribal Student Allowance) में वृद्धि से राज्य के खजाने पर 83.66 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। पहले सरकार इन भत्तों पर हर साल 144.74 करोड़ रुपये खर्च करती थी, लेकिन अब यह राशि बढ़कर 228.41 करोड़ रुपये हो जाएगी। यह राशि उन छात्रों के भविष्य में निवेश है, जो महाराष्ट्र के आदिवासी समुदायों से आते हैं। सरकार का यह कदम उन छात्रों को प्रोत्साहित करेगा, जो उच्च शिक्षा हासिल करना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण पीछे रह जाते हैं।
ये हॉस्टल न केवल रहने की जगह हैं, बल्कि वे एक सपने का आधार भी हैं। यहाँ रहने वाले छात्र डॉक्टर, इंजीनियर, या अन्य पेशेवर बनने का सपना देखते हैं। सरकार का यह फैसला उनके सपनों को हकीकत में बदलने की दिशा में एक बड़ा कदम है। महाराष्ट्र हॉस्टल भत्ता वृद्धि (Maharashtra Hostel Allowance Hike) न केवल आर्थिक मदद देगी, बल्कि आदिवासी समुदायों के बीच शिक्षा का स्तर भी ऊँचा उठाएगी।
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