Uddhav Thackeray Launches BMC Poll Campaign: मुंबई, जो भारत की आर्थिक राजधानी और सपनों का शहर है, एक बार फिर राजनीतिक रंग में रंगने जा रही है। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनाव (BMC Elections, बीएमसी चुनाव) नजदीक हैं, और इस बार शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं को पूरी ताकत झोंकने का आह्वान किया है। रविवार को शिवसेना भवन में एक गोपनीय बैठक में उद्धव ने अपने शाखा प्रमुखों से कहा कि वे अपने-अपने वार्डों में कम से कम 300 परिवारों तक व्यक्तिगत रूप से पहुंचें। यह निर्देश न केवल एक चुनावी रणनीति है, बल्कि मुंबई के हर कोने में शिवसेना की मौजूदगी को फिर से मजबूत करने का एक प्रयास है। यह चुनाव शिवसेना के लिए केवल सत्ता की लड़ाई नहीं, बल्कि अपनी ऐतिहासिक विरासत को बचाने का मौका भी है।
शिवसेना (UBT) के लिए बीएमसी का यह चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। उद्धव ठाकरे ने अपने कार्यकर्ताओं को संगठन की पूरी मशीनरी को सक्रिय करने का निर्देश दिया। इसमें समूह प्रमुख, मतदान एजेंट, और विभिन्न संगठनों के नेता शामिल हैं, जो मुंबई के 227 नगरपालिका वार्डों में समर्थन जुटाने के लिए काम करेंगे। बैठक में मौजूद सूत्रों के अनुसार, उद्धव ने पिछले दो दशकों में शिवसेना (UBT) द्वारा किए गए विकास कार्यों (Shiv Sena Legacy, शिवसेना विरासत) को जनता के सामने लाने पर जोर दिया। उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे सड़कों, पानी की आपूर्ति, और अन्य नागरिक सुविधाओं में पार्टी के योगदान को उजागर करें, ताकि लोग शिवसेना की मेहनत को याद रखें।
यह चुनाव इसलिए भी खास है, क्योंकि मार्च 2022 से बीएमसी में कोई निर्वाचित निकाय नहीं है। तब से यह देश का सबसे धनी नगर निगम नियुक्त प्रशासकों के अधीन चल रहा है, जिनका नेतृत्व एकनाथ शिंदे की सरकार कर रही है। उद्धव ठाकरे ने इस अवधि में कथित भ्रष्टाचार, अनियमितताओं, और नागरिक सेवाओं के गिरते स्तर को उजागर करने की रणनीति बनाई है। उनके अनुसार, यह समय मुंबईवासियों को यह बताने का है कि शिवसेना ने हमेशा शहर के हितों को प्राथमिकता दी, जबकि मौजूदा प्रशासन ने उनकी जरूरतों को नजरअंदाज किया। एक वरिष्ठ पार्टी कार्यकर्ता ने कहा कि यह चुनाव मुंबई के लिए एक निर्णायक मोड़ है, और लोगों को शिवसेना की उस विरासत की याद दिलानी होगी, जिसने शहर के बुनियादी ढांचे को बदल दिया।
उद्धव की यह रणनीति केवल विकास की बात तक सीमित नहीं है। वे मुंबई के मराठी मानुष और अन्य समुदायों के बीच अपनी पकड़ को मजबूत करना चाहते हैं। शिवसेना की स्थापना से ही यह पार्टी मुंबई की मराठी पहचान से जुड़ी रही है, और उद्धव इस भावना को फिर से जगाना चाहते हैं। उनकी कोशिश है कि हर शाखा प्रमुख अपने क्षेत्र के लोगों से व्यक्तिगत संपर्क बनाए, उनकी समस्याएं सुने, और उन्हें विश्वास दिलाए कि शिवसेना ही उनकी आवाज उठा सकती है। यह रणनीति खासकर युवा मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए बनाई गई है, जो सोशल मीडिया और तेजी से बदलते शहर के माहौल में सक्रिय हैं।
इस बैठक का आयोजन उस समय हुआ, जब महाराष्ट्र के शहरी विकास विभाग ने नगर निगमों के लिए वार्ड सीमाओं को अंतिम रूप देने की समय-सारणी जारी की। बीएमसी सहित तीन निगमों की अंतिम वार्ड सीमाएं 4 सितंबर तक अधिसूचित हो जाएंगी। यह प्रक्रिया चुनावी तैयारियों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि वार्ड सीमाएं तय होने के बाद ही प्रत्याशियों और पार्टियों की रणनीति स्पष्ट हो पाएगी। उद्धव ने इस मौके को भुनाने के लिए अपने कार्यकर्ताओं को अभी से मैदान में उतरने का निर्देश दिया। उनकी रणनीति है कि शिवसेना की शाखाएं, जो मुंबई में पार्टी की रीढ़ हैं, हर गली-मोहल्ले में जाकर लोगों से जुड़ें।
शिवसेना (UBT) के सामने कई चुनौतियां भी हैं। 2022 में पार्टी के विभाजन के बाद एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले गुट ने शिवसेना का नाम और धनुष-बाण चिह्न हासिल कर लिया। इसके अलावा, कई प्रमुख कार्यकर्ता और नगरसेवक शिंदे गुट में चले गए, जिससे उद्धव की पार्टी की जमीनी ताकत को नुकसान पहुंचा। हाल के विधानसभा चुनावों में भी महा विकास आघाडी (MVA), जिसमें शिवसेना (UBT) शामिल है, को केवल 46 सीटें मिलीं, जिनमें से 20 उनकी पार्टी ने जीतीं। मुंबई में 36 विधानसभा सीटों में से 21 पर चुनाव लड़कर शिवसेना (UBT) ने 10 सीटें हासिल कीं। यह प्रदर्शन दिखाता है कि मुंबई में उनकी पकड़ अभी बनी हुई है, लेकिन बीएमसी चुनाव में जीत के लिए उन्हें और मेहनत करनी होगी।
उद्धव ठाकरे की यह रणनीति उनकी नेतृत्व शैली को भी दर्शाती है। कोविड महामारी के दौरान मुख्यमंत्री के रूप में उनके काम को मुंबईवासियों ने सराहा था। वे उस विश्वास को फिर से जीवित करना चाहते हैं। उनकी कोशिश है कि लोग यह समझें कि शिवसेना (UBT) ही वह पार्टी है, जो मुंबई की जरूरतों को समझती है। उद्धव ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे हर घर तक पहुंचें, लोगों की समस्याएं सुनें, और उन्हें यह विश्वास दिलाएं कि शिवसेना उनकी आवाज बन सकती है। यह रणनीति न केवल चुनावी है, बल्कि यह मुंबई के लोगों के साथ एक भावनात्मक जुड़ाव बनाने की कोशिश भी है।