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महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव 2024: विदर्भ ने दिखाया दम, पर नागपुर ने क्यों छोड़ा मैदान? जानिए वोटिंग के रहस्य!

मुंबई चुनाव: दोपहर 12 बजे तक 15.93% मतदान, आज 13 सीटों पर निर्णायक लड़ाई

महाराष्ट्र लोकसभा चुनाव 2024: महाराष्ट्र में 2024 के लोकसभा चुनावों में पांच सीटों पर कुल 61.06% मतदान हुआ। इस बार विदर्भ क्षेत्र में मतदान का प्रतिशत मध्यम रहा, जबकि नागपुर ने सबसे कम मतदान प्रतिशत दर्ज किया। इस दौरान विदर्भ क्षेत्र में मध्यम स्तर की वोटिंग हुई, जबकि नागपुर में सबसे कम 53.37% मतदान दर्ज किया गया।

चुनाव आयोग के अनुसार, यवतमाल-वसंतरावनगर सीट पर सबसे अधिक 65.32% मतदान हुआ, जबकि नागपुर में सबसे कम 53.37% मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। अन्य सीटों पर वोटिंग इस प्रकार रही- अकोला 63.53%, भंडारा-गोंदिया 61.52%, और गढ़चिरोली-चिमुर 62.41%।

विदर्भ की सभी 5 सीटों पर कुल 97 उम्मीदवार मैदान में थे। प्रमुख मुकाबला भाजपा, कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे), एनसीपी और वंचित बहुजन आघाड़ी के बीच था। इस क्षेत्र में मुख्य मुद्दे जलसंकट, बेरोजगारी, कृषि संकट और औद्योगिकीकरण की कमी थे।     

मुख्य उम्मीदवारों में नागपुर से भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुळे, कांग्रेस के विकास ठाकरे बावनकुळे, शिवसेना (UBT) के मुकेश सावंत और वंचित बहुजन आघाड़ी के भारत जगदे शामिल थे। अन्य प्रमुख उम्मीदवार गडचिरोली-चिमुर से भाजपा के अशोक नेते और एनसीपी के बसवराज पाटिल, भंडारा-गोंदिया से भाजपा के नंदकुमार सिंह चौहान और कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले थे।

विदर्भ क्षेत्र, जो कि महाराष्ट्र का पूर्वी भाग है, ने इस बार एक सामान्य मतदान देखा। यहां के नागरिकों ने अपने मताधिकार का प्रयोग करते हुए लोकतंत्र में अपनी भागीदारी दिखाई। हालांकि, नागपुर जो कि विदर्भ का प्रमुख शहर है, ने इस बार सबसे कम मतदान प्रतिशत दर्ज किया। इसके पीछे के कारणों का विश्लेषण करना और उन्हें समझना जरूरी है।

इस चुनावी चरण में मतदान का प्रतिशत पिछले चुनावों की तुलना में कैसा रहा, इस पर भी विचार करना महत्वपूर्ण है। यह आंकड़े न केवल मतदान की प्रक्रिया की जानकारी देते हैं, बल्कि यह भी बताते हैं कि विभिन्न क्षेत्रों में लोकतंत्र के प्रति नागरिकों की सोच और समर्थन में कितना अंतर है।

मतगणना 2 जून को होगी। विदर्भ की इन सीटों पर किस पार्टी को ज्यादा वोट मिलेंगे, इसका फैसला तभी होगा। हालांकि, इस बार मतदाता भागीदारी कम होने से सभी दलों की चिंता बढ़ गई है।

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