Waqf land scam: आज संसद की संयुक्त समिति (JPC) की बैठक में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर वक्फ भूमि घोटाले में शामिल होने का आरोप लगाया गया। इस आरोप के चलते विपक्षी सांसदों ने बैठक का बहिष्कार किया। संसदीय समिति वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विचार कर रही थी, लेकिन भाजपा और विपक्षी दलों के बीच तीखी बहस के बाद बैठक में हंगामा हो गया।
JPC बैठक का बहिष्कार और हंगामा
आज की बैठक में वक्फ भूमि घोटाला (Waqf land scam) पर चर्चा हो रही थी, जब भाजपा के सदस्यों ने कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ आरोप लगाए। विपक्षी सांसद इन आरोपों से नाराज होकर बैठक का बहिष्कार करने लगे। उनका मानना था कि इस तरह के आरोप उन लोगों पर लगाए गए जो अपनी सफाई देने के लिए बैठक में मौजूद नहीं थे। इसके साथ ही, विपक्षी सांसदों ने समिति के कामकाज के तरीके पर भी सवाल खड़े किए।
जब भाजपा के सदस्यों ने वक्फ भूमि घोटाले पर आरोप (Allegations on Waqf land scam) लगाए, तो विपक्षी दलों के सांसदों ने इस पर कड़ा विरोध जताया। उनके अनुसार, यह समिति के नियमों के खिलाफ था, क्योंकि कोई भी ‘उच्च पद पर बैठे व्यक्ति’ पर आरोप नहीं लगाए जा सकते, जब तक कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत न हों। इसके अलावा, ऐसे आरोप उन व्यक्तियों पर नहीं लगाए जा सकते जो अपनी सफाई देने के लिए मौजूद नहीं हैं।
बैठक में मल्लिकार्जुन खरगे के खिलाफ आरोप
कर्नाटक भाजपा के पूर्व उपाध्यक्ष अनवर मणिप्पडी ने बैठक में कांग्रेस नेताओं, जिनमें मल्लिकार्जुन खरगे भी शामिल हैं, पर वक्फ संपत्तियों से संबंधित घोटालों में शामिल होने का आरोप लगाया। मणिप्पडी के अनुसार, कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने वक्फ संपत्तियों का दुरुपयोग किया और गलत तरीके से उन्हें हड़पने की कोशिश की।
हालांकि, विपक्षी सांसदों का कहना है कि इस प्रकार के आरोप उस व्यक्ति के खिलाफ नहीं लगाए जा सकते, जो खुद को बचाने के लिए मौजूद नहीं है। विपक्ष के सांसदों ने इस मामले को लेकर गंभीर आपत्तियां जताई और समिति के कामकाज पर सवाल उठाए।
हिंदू समूहों की बैठक में उपस्थिति
बैठक में भाजपा के सदस्यों ने हिंदू संगठनों को आमंत्रित किया, जो इस विधेयक के साथ अपने विचार व्यक्त कर रहे थे। विपक्षी सांसदों का कहना था कि वक्फ विधेयक मुसलमानों से जुड़ा हुआ है, और ऐसे में हिंदू संगठनों का इसमें कोई दखल नहीं होना चाहिए। विपक्षी सांसदों ने इस पर भी कड़ा विरोध जताया और समिति की निष्पक्षता पर सवाल उठाए।
हालांकि, भाजपा का कहना था कि हिंदू संगठनों को भी इस विधेयक पर बोलने का हक है, क्योंकि वक्फ संपत्तियों का मुद्दा न सिर्फ मुसलमानों बल्कि गैर-मुस्लिम संपत्तियों को भी प्रभावित करता है।
इस विवाद के चलते बैठक में हंगामा होता रहा और कोई ठोस नतीजा नहीं निकल पाया। विपक्षी सांसदों ने अपने आप को समिति की कार्यवाही से अलग कर लिया और लोकसभा अध्यक्ष को इस बारे में शिकायत करने का फैसला किया।
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