महाराष्ट्र

प्री-प्लांड थी महाराष्ट्र विधानसभा में हुई झड़प? जांच अधिकारी ने की 7 दिन के कस्टडी की मांग

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महाराष्ट्र विधानसभा परिसर में हुई झड़प का मामला अब सियासी रंग ले चुका है। इस घटना की जांच गहराने के साथ ही इसमें शामिल लोगों की पहचान सामने आ रही है। नितिन देशमुख का नाम इस मामले में तेजी से उभरकर सामने आया है। आरोप है कि बीजेपी विधायक गोपीचंद पडलकर ने नितिन देशमुख को विधान भवन बुलाया था। पुलिस ने कोर्ट में नितिन देशमुख की 7 दिन की हिरासत की मांग की है, जिसमें दावा किया गया कि उन्होंने गैरकानूनी तरीके से भीड़ इकट्ठा की और सर्जराव टकले के साथ झड़प की।

पुलिस के आरोप और डिजिटल सबूत
पुलिस ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान व्हाट्सएप चैट्स का हवाला देते हुए कहा कि उनके पास डिजिटल सबूत हैं, जो साबित करते हैं कि विधान भवन की घटना को पहले से प्लान किया गया था। जांच में ये भी सामने आया कि सर्जराव टकले के पास विधान भवन में प्रवेश का पास नहीं था। टकले के खिलाफ पहले से 6 मामले दर्ज हैं, जबकि नितिन देशमुख पर 7 केस दर्ज हैं। पुलिस को शक है कि ये झड़प सुनियोजित थी और इसे अंजाम देने के लिए साजिश रची गई।

बचाव पक्ष की दलील
बचाव पक्ष ने कोर्ट में दावा किया कि ये घटना आकस्मिक थी और इसमें कोई साजिश नहीं थी। उनके मुताबिक, दोनों पक्षों के बीच विवाद हुआ, जो बाद में झड़प में बदल गया। बचाव पक्ष ने इसे सामान्य विवाद बताते हुए किसी बड़ी साजिश से इनकार किया।

विधानसभा में हंगामा और सख्त कदम
गुरुवार को विधानसभा की लॉबी में बीजेपी विधायक गोपीचंद पडलकर और एनसीपी विधायक जितेंद्र आव्हाड के समर्थकों के बीच जोरदार हंगामा हुआ। ये विवाद गाली-गलौज से शुरू होकर मारपीट तक पहुंच गया। चूंकि ये घटना विधानसभा परिसर में हुई, इसलिए विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने इसे गंभीरता से लिया। उन्होंने विधायकों को आड़े हाथों लेते हुए कड़े कदम उठाने का फैसला किया।

विधानसभा में आगंतुकों पर रोक
राहुल नार्वेकर ने विधानसभा में आगंतुकों के प्रवेश पर पूरी तरह रोक लगा दी है। उन्होंने कहा कि हाल के दिनों में विधायकों का व्यवहार चिंताजनक रहा है। विधायकों को संविधान की शपथ का सम्मान करते हुए गरिमा बनाए रखनी होगी। अब केवल विधायकों और उनके अधिकृत निजी सहायकों को ही विधानसभा में प्रवेश की अनुमति होगी।

मंत्रियों को भी निर्देश
नार्वेकर ने मंत्रियों को निर्देश दिए हैं कि वे अपनी बैठकें विधानमंडल के बजाय मंत्रालय में करें। असाधारण परिस्थितियों में भी आगंतुकों को विधानसभा में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी।

जांच में और क्या सामने आएगा?
इस मामले की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है। पुलिस के डिजिटल सबूत और कोर्ट में चल रही सुनवाई से ये मामला और गंभीर होता जा रहा है। विधान भवन में हुई इस घटना ने न केवल सियासी हलकों में हलचल मचाई है, बल्कि विधानसभा की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए हैं। आने वाले दिनों में इस मामले में और खुलासे होने की उम्मीद है।

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