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वायनाड में भूस्खलन: तबाही और राहत प्रयासों की पूरी कहानी

वायनाड में भूस्खलन
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वायनाड में भूस्खलन: केरल के वायनाड जिले में हुए भूस्खलन ने पूरे क्षेत्र में भारी तबाही मचाई है। इस आपदा ने कई परिवारों को अपने प्रियजनों से दूर कर दिया है, और इस मुश्किल समय में राहत और बचाव का काम लगातार जारी है। आइए जानते हैं विस्तार से।

रेस्क्यू ऑपरेशन की चुनौतियां और सफलता
वायनाड के चूरमाला में राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और सेना के जवान दिन-रात मेहनत कर रहे हैं। ये ऑपरेशन शनिवार (3 अगस्त) को अपने चौथे दिन में प्रवेश कर गया। अत्याधुनिक तकनीकी उपकरणों और खोजी कुत्तों की मदद से मलबे के नीचे दबे लोगों को जिंदा निकालने की कोशिशें हो रही हैं। इस दौरान कुछ लोगों को सुरक्षित बचा लिया गया है, जबकि कई लोगों के शव भी बरामद किए गए हैं।

रेस्क्यू टीम्स ने अपनी मेहनत से कई जिंदगियों को बचाया है। एक टीम ने पदवेट्टी कुन्नू के पास एक घर से चार लोगों के परिवार को सुरक्षित निकाला, जिससे बचाव कार्य में एक उम्मीद की किरण जागी है। करीब 40 रेस्क्यू टीमों ने कुत्तों के साथ मिलकर भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में लोगों की खोज जारी रखी हुई है। वन विभाग की टीम ने जंगल में फंसे एक आदिवासी समुदाय के चार बच्चों और उनके माता-पिता को भी बचाया।

वायनाड की स्थिति और मौसम का प्रभाव
आईएमडी (भारतीय मौसम विभाग) ने वायनाड के मौसम की ताजा जानकारी भी दी है। शनिवार को वायनाड में बादल छाए रहने और रुक-रुक कर बारिश होने की संभावना जताई गई थी। भारी बारिश की वजह से रेस्क्यू ऑपरेशन में कुछ रुकावटें भी आईं, लेकिन बारिश के थमने के बाद बचाव कार्य को तेज़ी से आगे बढ़ाया गया।

अंतरराष्ट्रीय संवेदनाएं और समर्थन
वायनाड में इस भयानक आपदा के बाद, अमेरिका, चीन, जर्मनी, और नीदरलैंड सहित कई देशों ने जानमाल की हानि पर गहरा शोक व्यक्त किया है। मिस्र, जॉर्डन और बहरीन ने भी इस घटना पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनकी पत्नी जिल बाइडेन ने भी बचावकर्मियों की बहादुरी की सराहना करते हुए भारतीयों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की है।

सरकारी प्रयास और आगे की योजना
केंद्र सरकार ने केरल के वायनाड के 13 गांवों सहित पश्चिमी घाट के 56,800 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील क्षेत्र (ESA) घोषित करने का ड्राफ्ट नोटिफिकेशन जारी किया है। ये कदम इस भूस्खलन के बाद उठाया गया है, जिससे 300 से अधिक लोगों की जान जा चुकी है।

राहत शिविरों में जिंदगी
मेप्पडी में 17 राहत शिविरों में 707 परिवारों के 2,597 लोग रह रहे हैं। जिले भर में कुल 91 शिविरों में लगभग 10,000 लोगों ने शरण ली हुई है। फिलहाल प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा और बचाव पर दी जा रही है। सेना द्वारा बनाए गए 190 फुट लंबे ‘बेली ब्रिज’ के निर्माण के बाद खोज अभियान को और तेजी मिली है।

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