बजट 2025: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश किए गए बजट पर विपक्षी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रियाएं दी हैं। उनका मानना है कि बजट में आम आदमी और गरीब वर्ग को कुछ खास नहीं मिला है, जबकि कुछ नेता इसे सिर्फ चुनावी राजनीति से जोड़कर देख रहे हैं। आइए जानते हैं विपक्षी नेताओं की क्या राय है-
1. भूपेश बघेल (कांग्रेस नेता):
“मध्यम वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग, गरीबों और किसानों के लिए बजट में कुछ नहीं है। इसमें आधारभूत संरचना के लिए कोई प्रावधान नहीं है, जिससे रोजगार उत्पन्न हो सके।”
2. अभिषेक बनर्जी (TMC सांसद)
“बजट में आम आदमी के लिए कुछ नहीं है। यह बिहार चुनाव को ध्यान में रखते हुए बिहार के लिए पेश किया गया है। पिछले 10 वर्षों से भाजपा सत्ता में है, लेकिन बंगाल को कुछ नहीं मिला। यह दुखद है।”
3. डिंपल यादव (समाजवादी पार्टी सांसद):
“बजट में कुछ नया नहीं था। हम मांग करते हैं कि सरकार महाकुंभ में जान गंवाने वाले श्रद्धालुओं का ब्यौरा दे और यह बताए कि त्रासदी के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को दंडित किया जाएगा या नहीं।”
4. चरणजीत सिंह चन्नी (कांग्रेस सांसद)
“बजट में किसी वर्ग को कुछ नहीं मिला। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश का नाम तक नहीं लिया गया। किसानों के लिए कुछ नहीं है। MSP की बात नहीं हुई। यह बजट देश को डूबोने वाला है।”
5. कुमारी शैलजा (कांग्रेस सांसद)
“हमारे किसानों को MSP नहीं दिया गया। हरियाणा में परमाणु संयंत्र है, लेकिन उस पर कुछ नहीं हो रहा। गरीबों के लिए आवास या MNREGA पर कोई चर्चा नहीं हुई। यह बजट सिर्फ बिहार और दिल्ली चुनाव के लिए है, किसी और राज्य को कुछ नहीं मिला।”
6. मनीष तिवारी (कांग्रेस सांसद)
“यह समझ में नहीं आता कि यह भारत सरकार का बजट है या बिहार सरकार का। वित्त मंत्री ने बजट भाषण में बिहार के अलावा किसी अन्य राज्य का नाम नहीं लिया। देश के बजट में पूरे देश के लिए कुछ होना चाहिए, लेकिन यह दुखद है कि बिहार को ही प्राथमिकता दी गई है।”
7. गौरव गोगोई (कांग्रेस सांसद)
“यह वही पुराना बजट है, जो हम पिछले 10 वर्षों से सुनते आ रहे हैं। इसमें न तो गरीबों, न किसानों और न ही मध्यम वर्ग को कुछ मिला। 12 लाख रुपये तक की आय पर कर छूट का कोई ठोस विवरण नहीं दिया गया। यह सरकार का पुराना तरीका है कि कुछ दिखाया जाता है, लेकिन असल में कुछ नहीं मिलता।”
8. अखिलेश यादव (समाजवादी पार्टी प्रमुख)
“बजट के आंकड़ों से ज्यादा महाकुंभ भगदड़ में जान गंवाने वालों के आंकड़े महत्वपूर्ण हैं। इस सरकार ने 17 घंटे से ज्यादा वक्त लिया यह बताने में कि भगदड़ मची और लोगों की जान चली गई। यह सरकार झूठी है, जो महाकुंभ का आयोजन नहीं कर सकती, उसका बजट भी झूठा है।”
9. अरविंद केजरीवाल (पूर्व सीएम, दिल्ली)
“देश के खजाने का एक बड़ा हिस्सा चंद अमीर अरबपतियों के क़र्ज़े माफ़ करने में चला जाता है। मैंने माँग की थी कि बजट में ये ऐलान किया जाए कि आगे से किसी अरबपति के क़र्ज़ माफ़ नहीं किए जाएँगे। इस से बचने वाले पैसे से मिडल क्लास के होम लोन और व्हीकल लोन में छूट दी जाए; किसानों के कर्ज़े माफ़ किए जायें। इनकम टैक्स और GST की टैक्स दरें आधी की जायें। मुझे दुख है कि ये नहीं किया गया।”
विपक्षी नेताओं का कहना है कि यह बजट विशेषकर आम आदमी, किसानों और गरीबों की अनदेखी करता है। कई नेताओं ने इसे चुनावी लाभ के लिए बिहार जैसे राज्यों में पेश किया गया बजट बताया है, और उन्होंने सरकारी नीतियों पर सवाल उठाए हैं।
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