जब कोई व्यक्ति बैंक या किसी संस्था से कर्ज लेता है और उसे समय पर नहीं लौटाता, तो कानूनी कार्रवाई होती है। लेकिन सवाल ये है कि जब कोई देश (country) अरबों का कर्ज (loan) नहीं लौटाता, तब क्या होता है? क्या उस देश को भी जेल में डाला जा सकता है? इसका जवाब थोड़ा अलग है। यहां हम विस्तार से जानेंगे कि जब कोई देश अपना उधार नहीं चुकाता तो उसके साथ क्या होता है?
दुनिया के सबसे बड़े कर्जदार देश
हर साल वर्ल्ड ऑफ स्टेटिस्टिक्स नामक संस्था सबसे अधिक कर्जदार देशों की सूची जारी करती है। 2023 की रिपोर्ट में पहले स्थान पर अमेरिका था, जिस पर 33,229 बिलियन डॉलर का कर्ज था। दूसरे स्थान पर चीन और तीसरे स्थान पर जापान था। चौथे और पांचवें स्थान पर क्रमशः यूके और फ्रांस थे। भारत भी इस सूची में शामिल है, और सातवें स्थान पर था, जिस पर 3,057 बिलियन डॉलर का कर्ज है।
कर्ज चुकाने में नाकामी के परिणाम
जब कोई देश अपने कर्ज को चुकाने में नाकाम रहता है, तो इसके गंभीर परिणाम होते हैं। सबसे पहला प्रभाव ये होता है कि उसके साथ व्यापार करने वाले देश और कंपनियां उससे व्यापार करना बंद कर देते हैं। व्यापार प्रतिबंध (trade restrictions) का ये कदम उस देश की अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित करता है।
इसके अलावा, अगर किसी देश ने अंतरराष्ट्रीय बैंक (international bank) से कर्ज लिया है और वो इसे चुकाने में असमर्थ है, तो उस देश को ब्लैकलिस्ट (blacklist) कर दिया जाता है। इसका मतलब है कि वो देश किसी भी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्था से भविष्य में फंड नहीं ले सकता। इससे उसकी आर्थिक गतिविधियां लगभग ठप हो जाती हैं और जीवन स्तर पर इसका नकारात्मक असर पड़ता है।
कर्ज में डूबे देशों का क्या होता है?
जब देश बहुत अधिक कर्ज में डूब जाता है, तो उन्हें अपनी संपत्तियों को बेचने या सार्वजनिक सेवाओं में कटौती करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। कई बार सरकारें आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं पर कर बढ़ा देती हैं जिससे आम जनता पर अतिरिक्त बोझ पड़ता है।
अगर कर्ज देने वाले देशों और संस्थाओं को लगता है कि कर्जदार देश दिवालिया हो सकता है, तो वे उसे ऋण पुनर्गठन (debt restructuring) का प्रस्ताव देते हैं। इसमें कर्ज की शर्तों को आसान बनाया जाता है ताकि देश धीरे-धीरे अपना कर्ज चुका सके। हालांकि, ये भी कर्जदार देश की अर्थव्यवस्था पर दबाव बनाए रखता है।
कर्ज नहीं लौटाने का एक और बड़ा परिणाम यह होता है कि उस देश की वित्तीय साख (financial credibility) खराब हो जाती है। उदाहरण के लिए, अगर किसी देश को ब्लैकलिस्ट किया जाता है, तो निवेशक उसमें पैसा लगाने से बचते हैं। इसका असर उसकी मुद्रा की वैल्यू पर भी पड़ता है।
कर्ज का मतलब सिर्फ एक आर्थिक बोझ नहीं है; ये एक देश की अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा और भविष्य की संभावनाओं को भी निर्धारित करता है। कर्ज में डूबे देशों (debt-ridden countries) के लिए कर्ज चुकाना प्राथमि
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