भारतीय मसालों पर बैन का कितना असर: सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग में कुछ भारतीय मसालों पर बैन लगने के बाद हंगामा मच गया था, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इन मसालों का भारत के कुल निर्यात में सिर्फ 1% से भी कम हिस्सा है?
हाल ही में सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग ने MDH और Everest के कुछ मसालों में एथिलीन ऑक्साइड (EtO) की मौजूदगी के कारण उन पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके बाद भारतीय मसालों की गुणवत्ता पर सवाल उठने लगे थे।
स्पाइस बोर्ड ने उठाए कदम
इस विवाद के बाद स्पाइस बोर्ड ऑफ इंडिया ने भारतीय मसालों की सुरक्षा और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। अब सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग जाने वाले सभी मसालों की EtO अवशेषों के लिए जांच अनिवार्य कर दी गई है।
भारत के कुल निर्यात पर कितना असर?
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग में जिन मसालों पर बैन लगा है, उनका भारत के कुल मसाला निर्यात में 1% से भी कम हिस्सा है। इसलिए इस बैन का भारत के मसाला निर्यात पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
EtO का इस्तेमाल दूसरे देशों में भी होता है
सरकारी सूत्रों ने ये भी बताया कि EtO का इस्तेमाल अलग-अलग देशों में 0.73% से लेकर 7% तक की मात्रा में किया जाता है। इसलिए, सभी देशों के लिए EtO के इस्तेमाल का एक मानक तय किया जाना चाहिए।
स्पाइस बोर्ड ने क्या-क्या किया?
स्पाइस बोर्ड ने 130 से ज्यादा निर्यातकों और संगठनों के साथ एक बैठक की। साथ ही, सभी निर्यातकों को EtO ट्रीटमेंट के लिए दिशानिर्देश भी जारी किए हैं।
हालांकि सिंगापुर और हॉन्ग कॉन्ग में लगे बैन से भारतीय मसालों की छवि को थोड़ा धक्का लगा है, लेकिन स्पाइस बोर्ड के द्वारा उठाए गए कदमों से ये उम्मीद है कि जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी।
गौरतलब है कि अप्रैल में, हांगकांग के खाद्य सुरक्षा नियामक ने भारतीय ब्रांड MDH और Everest के चार मसाला उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया था, क्योंकि उनमें कैंसर पैदा करने वाले रसायन पाए गए थे।
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