भारत में डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करने की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए दूरसंचार विभाग ने सोशल मीडिया और इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप्स के लिए ‘सिम बाइंडिंग’ नियम लागू करने का आदेश जारी किया है। वॉट्सऐप, टेलीग्राम, सिग्नल और स्नैपचैट जैसे प्लेटफॉर्म को इसे लागू करने के लिए 90 दिनों का समय दिया गया है। यानी फरवरी 2026 तक ये नया नियम लागू हो जाएगा। इसके बाद कई डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के उपयोग का तरीका बदल जाएगा।
हालांकि, इस नियम को लेकर इंटरनेट पर कई तरह की गलतफहमियां फैल रही हैं और मैसेजिंग कंपनियों में भी बेचैनी देखी जा रही है। वहीं दूसरी ओर सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने इस कदम का स्वागत किया है।
क्या है ‘सिम बाइंडिंग’?
अगर आप UPI ऐप इस्तेमाल करते हैं, तो इसे समझना बेहद आसान है।
UPI केवल उसी फोन में चलता है जिसमें उस नंबर की सिम लगी हो जिसे आप UPI से लिंक किए हुए हैं। इसे ही सिम बाइंडिंग कहा जाता है।
अब यही नियम इंस्टैंट मैसेजिंग ऐप्स पर भी लागू होगा। जिसके तहत, जिस मोबाइल नंबर से आप वॉट्सऐप या स्नैपचैट चला रहे हैं, वो सिम आपके फोन में होना जरूरी होगा। अगर फोन से सिम कार्ड निकाल दिया जाता है, तो उस नंबर से जुड़े मैसेजिंग ऐप्स काम नहीं करेंगे।
साथ ही वेब वर्जन में भी हर 6 घंटे में ऑटो-लॉगआउट होगा। दोबारा लॉग-इन करने के लिए QR कोड स्कैन करना होगा।
क्यों लागू किया जा रहा है नया नियम?
देश में लगातार बढ़ रहे फाइनेंशियल फ्रॉड और साइबर क्राइम को रोकने के लिए ये बड़ा कदम उठाया गया है।
हैकर्स अक्सर सिम स्वैप करके लोगों के सोशल मीडिया और मैसेजिंग अकाउंट हैक कर लेते हैं। इससे बैंकिंग फ्रॉड भी बढ़ते हैं।
सिम बाइंडिंग होने से सिम स्वैप करके अकाउंट हैक नहीं किया जा सकेगा, मैसेजिंग ऐप्स अधिक सुरक्षित होंगे और फेक कॉल, स्पैम और ऑनलाइन ठगी में कमी आएगी। COAI के अनुसार ये नियम यूजर, मोबाइल नंबर और डिवाइस के बीच एक मजबूत कनेक्शन स्थापित करेगा।
क्या इससे यूजर को दिक्कत होगी?
सरकार और COAI जितना दावा कर रहे हैं, उसके अनुसार आम यूजर्स को कोई परेशानी नहीं होगी, बल्कि उन्हें सबसे ज्यादा फायदे मिलेंगे, जैसे – अकाउंट की सुरक्षा बढ़ेगी, अनधिकृत डिवाइस पर एक्सेस रोका जाएगा और ऑनलाइन ठगी के मामले कम होंगे।
वेब वर्जन में 6 घंटे बाद दोबारा लॉग-इन करना बहुत बड़ा मुद्दा नहीं माना जा रहा, क्योंकि बैंकिंग सिस्टम में ये सामान्य प्रक्रिया है।
क्या इससे प्राइवेसी पर असर पड़ेगा?
COAI का कहना है कि ये नियम यूजर प्राइवेसी में किसी भी तरह का हस्तक्षेप नहीं करता।
न तो कोई डेटा कलेक्ट किया जाता है और न ही स्टोर किया जाता है। ये केवल इस बात की पुष्टि करता है कि जिस नंबर से आपकी चैट चल रही है, वो सिम फोन में मौजूद हो।
‘सिम बाइंडिंग’ नियम का मुख्य उद्देश्य डिजिटल सुरक्षा को मजबूत करना है। हालांकि कंपनियां इसे तकनीकी चुनौती के रूप में देख रही हैं, लेकिन आम यूजर्स के लिए ये कदम ज्यादा सुरक्षित ऑनलाइन अनुभव लेकर आएगा।
तो मतलब साफ है कि फरवरी 2026 से डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का उपयोग पहले से अधिक सुरक्षित और नियंत्रित होने वाला है।
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