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हीरामंडी और संजय लीला भंसाली का क्या है खास कनेक्शन?

संजय लीला भंसाली
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संजय लीला भंसाली अपने बड़े प्रोजेक्ट ‘हीरामंडी’ के साथ नेटफ्लिक्स पर जल्द ही धूम मचाने वाले हैं। इस सीरीज़ में हमें भंसाली वाली ग्रैंड सेटिंग, खूबसूरत महिलाएं, और वो सारी चीज़ें देखने को मिलेंगी जिसके लिए वो मशहूर हैं। अगर आपने भंसाली की फिल्में देखी हैं तो ये तो जानते ही होंगे कि उनके किरदारों की ज़िंदगी में प्यार तो खूब आता है, पर होता कम ही है। अक्सर उनके हीरो-हेरोइन को कभी समाज तो कभी किस्मत अलग कर देती है।

भंसाली अक्सर तवायफों और सेक्स वर्कर्स के इर्द-गिर्द अपनी कहानियां बुनते हैं। ‘सांवरिया’, ‘देवदास’ और ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ जैसी फिल्मों में आपने ये साफ देखा होगा। भंसाली की फिल्मों में जहां ये महिलाएं मर्दों को खुशी देती हैं, वहीं उनका खुद का प्यार अधूरा रह जाता है। ‘देवदास’ में पारो, चंद्रमुखी से कहती है “तवायफ की तकदीर में शौहर नहीं होते”, जिसका चंद्रमुखी जवाब देती है कि “तवायफ की तो तकदीर ही नहीं होती ठाकुराइन!”

गंगूबाई: प्यार से बड़ा मकसद

‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ में गंगा को उसका प्यार ही धोखा देकर कोठे पर बेच आता है। टूटने के बाद वो अपनी ताकत और स्मार्टनेस से कमाठीपुरा की बेताज रानी बन जाती है। उसे एक सीधे-सादे दर्जी अफशान से प्यार हो जाता है, पर उसे रोशनी नाम की एक युवती की भलाई के लिए अपना प्यार कुर्बान करना पड़ता है।

पहला प्यार, अधूरी शादी

भंसाली ने अपनी पहली ही फ़िल्म, ‘खामोशी’ में प्यार के बगावती रूप को दिखाया था। ऐनी को राज नाम के लड़के से प्यार हो जाता है, पर उनके परिवारों के अलग-अलग धर्मों के चलते शादी नहीं हो पाती। ऐनी जब शादी से पहले ही प्रेग्नेंट हो जाती है, तो उसके माता-पिता उससे नाता तोड़ लेते हैं।

जब समाज नहीं देता साथ

‘हम दिल दे चुके सनम’ की नंदिनी को समीर से प्यार हो जाता है, जो कि उसके पिता का छात्र है। पर जब रूढ़िवादी पिता को ये पता चलता है तो वो दोनों को अलग कर देता है। उसकी शादी वनराज से करा दी जाती है, जो फिर उसे खुद समीर से मिलाने के लिए ले जाता है। पर, आखिर में नंदिनी अपने पति के साथ ही रहने का फैसला करती है और समीर का दिल टूट जाता है।

भंसाली सिर्फ परिवारों के खिलाफ ही नहीं, कई बार शारीरिक कमज़ोरियों को भी प्यार के रास्ते का रोड़ा बनाते हैं। ‘गुज़ारिश’ का ईथन एक दुर्घटना के बाद लकवाग्रस्त हो जाता है। ‘ब्लैक’ की मिशेल, जो देख-सुन नहीं सकती, अपनी टीचर से कहती है कि वो शायद कभी प्यार को जान ही नहीं पाएगी। भंसाली दिखाते हैं कि प्यार-मोहब्बत दिमाग से शुरू होती है। पर जब हमारा अपना शरीर ही इसका दुश्मन बन जाता है, तो ये दिल तोड़ने वाला हो जाता है।

भंसाली की कई बार हीरोइनें विद्रोही भी होती हैं और अपने दिल की सुनती हैं, पर आखिरकार उनकी कहानियां दर्दनाक मोड़ पर ही खत्म होती हैं। ऐसे में देखना दिलचस्प होगा, कि फिल्म हीरामंडी में हीरोइन की दास्तां क्या होती है।

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