नवरात्रि का पर्व श्रद्धा, भक्ति और शक्ति की साधना का समय होता है। हर घर में देवी दुर्गा की आराधना के साथ कलश स्थापना की जाती है। कलश में गंगाजल, आम्रपत्र और उसके ऊपर श्रीफल (नारियल) रखकर नौ दिनों तक पूजा की जाती है। लेकिन नवरात्रि के दौरान एक सवाल अक्सर लोगों के मन में आता है, कलश पर रखे नारियल का क्या करना चाहिए? क्या इसे प्रसाद मानकर ग्रहण किया जा सकता है या फिर इसे बहते जल में प्रवाहित करना चाहिए?
नारियल के महत्व को समझना जरूरी
हिंदू धर्म में नारियल को श्रीफल कहा गया है, यानी ये दोष नहीं बल्कि शुभ फल है। शास्त्रों में नारियल को त्रिदेवों का प्रतीक माना गया है। कलश पर नारियल रखने का अर्थ है कि हम देवी-देवताओं को आमंत्रित कर रहे हैं और दिव्य ऊर्जा को अपने घर में स्थापित कर रहे हैं।
कलश स्थापना के समय बोले जाने वाले श्लोक में भी ये उल्लेख है:
“कलशस्य मुखे विष्णुः कण्ठे रुद्रः समाश्रितः। मूले तस्य स्थितो ब्रह्मा मध्ये मातृगणाः स्मृताः॥”
अर्थात कलश के मुख पर भगवान विष्णु, कंठ में शिव, जड़ में ब्रह्मा और मध्य में मातृगण का वास होता है। ऐसे में ये कहना कि नारियल नकारात्मक ऊर्जा सोख लेता है, शास्त्रसम्मत नहीं है।
क्या नारियल को खाया जा सकता है?
पूजा-पाठ में प्रयुक्त नारियल कोई साधारण फल नहीं रह जाता, बल्कि देवी मंत्र, आरती और आहुति के प्रभाव से ये अभिमंत्रित और पवित्र प्रसाद बन जाता है। जिस तरह मंदिर का जल मंत्रित होकर चरणामृत बन जाता है, ठीक वैसे ही नवरात्रि में कलश पर रखा नारियल भी साधारण फल न होकर महाप्रसाद का रूप ले लेता है।
इसलिए शास्त्रों के अनुसार नारियल को नकारात्मक नहीं, बल्कि सकारात्मक और पवित्र फल माना गया है। इसे ग्रहण करना शुभ होता है। हां, विभिन्न क्षेत्रों में परंपराएं अलग-अलग हो सकती हैं। कहीं इसे परिवारजन प्रसाद स्वरूप खाते हैं, तो कहीं बहते जल में प्रवाहित करने की परंपरा है।
धार्मिक दृष्टि से अंतिम निष्कर्ष
नारियल को नकारात्मक ऊर्जा का वाहक नहीं, बल्कि देवी लक्ष्मी और त्रिदेवों का प्रतीक माना गया है।
ये नौ दिनों तक मंत्र, धूप और पूजा का आशीर्वाद लेकर साधारण फल से सिद्ध फल बन जाता है।
इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करना शुभ माना गया है, लेकिन अपनी-अपनी परंपराओं का पालन करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है।
संक्षेप में कहा जाए तो नवरात्रि के कलश का नारियल कोई साधारण फल नहीं, बल्कि महाप्रसाद है। आप इसे खाएं या प्रवाहित करें, ये आपके परिवार की परंपरा और विश्वास पर निर्भर करता है, परंतु शास्त्रों की दृष्टि से इसे ग्रहण करना शुभ ही माना गया है।
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