इस लेख में हम बात करेंगे बाजार से गायब हो रहे छोटे नोटों की। क्या वाकई में 10, 20 और 50 रुपये के नोट कम हो गए हैं? इसका क्या असर हो रहा है आम लोगों पर? और सरकार इस मुद्दे को कैसे देख रही है? आइए जानते हैं इस पूरे मामले के बारे में।
क्या है पूरा मामला?
हाल ही में कांग्रेस पार्टी ने एक बड़ा मुद्दा उठाया है। उनका कहना है कि बाजार में छोटे नोट (small notes) बहुत कम हो गए हैं। खासकर 10, 20 और 50 रुपये के नोट मिलना मुश्किल हो गया है। कांग्रेस के एक बड़े नेता मणिकम टैगोर ने इस बारे में सरकार को चिट्ठी भी लिखी है।
वो कहते हैं कि छोटे नोट (small notes) कम होने से गरीब लोगों को बहुत परेशानी हो रही है। सब्जी खरीदना हो या फिर ऑटो में सफर करना, हर जगह लोगों को दिक्कत आ रही है। टैगोर का मानना है कि सरकार ने जानबूझकर छोटे नोटों की छपाई कम कर दी है ताकि लोग डिजिटल पेमेंट का ज्यादा इस्तेमाल करें।
गरीबों पर असर
इस समस्या का सबसे ज्यादा असर गरीब लोगों पर पड़ रहा है। मान लीजिए, एक मजदूर को दिन भर काम करने के बाद 300 रुपये मिलते हैं। अब अगर उसके पास छोटे नोट नहीं होंगे तो वो अपने घर के लिए सामान कैसे खरीदेगा? छोटी दुकानों में अक्सर UPI या कार्ड से पेमेंट की सुविधा नहीं होती। ऐसे में छोटे नोट (small notes) न होना बड़ी मुसीबत बन जाता है।
इसी तरह, रेहड़ी-पटरी वाले या फिर छोटे दुकानदार भी इस समस्या से जूझ रहे हैं। उनके पास ग्राहकों को छुट्टे देने के लिए छोटे नोट नहीं हैं। इससे उनका कारोबार प्रभावित हो रहा है।
सरकार का रुख
अभी तक सरकार की तरफ से इस मुद्दे पर कोई बड़ा बयान नहीं आया है। लेकिन कुछ अधिकारियों का कहना है कि ऐसी कोई समस्या नहीं है। उनका मानना है कि बाजार में पर्याप्त मात्रा में छोटे नोट हैं।
हालांकि, कई लोगों का कहना है कि RBI ने डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए छोटे नोटों की छपाई कम कर दी है। लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।
क्या है समाधान?
कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने वित्त मंत्री को लिखे अपने पत्र में कुछ सुझाव दिए हैं:
- RBI को छोटे नोटों की छपाई फिर से शुरू करनी चाहिए।
- गांवों में डिजिटल पेमेंट की सुविधा बढ़ाई जानी चाहिए।
- लोगों को कैश और डिजिटल दोनों तरह से पेमेंट करने की आजादी होनी चाहिए।
अंत में, ये कहा जा सकता है कि छोटे नोटों की कमी एक गंभीर मुद्दा है जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। हालांकि डिजिटल पेमेंट का बढ़ना अच्छी बात है, लेकिन इसके साथ-साथ कैश की उपलब्धता भी जरूरी है। खासकर गरीब और ग्रामीण इलाकों के लिए।
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