भारतीय संस्कृति में रंगों का बहुत महत्व है। खासतौर पर शुभ अवसरों जैसे शादी, पूजा, त्योहार आदि में लाल, पीला या हरा रंग पहनने की परंपरा है। लेकिन जब बात काले रंग की आती है, तो इसे नकारात्मक ऊर्जा और अशुभता का प्रतीक माना जाता है। आइए, समझते हैं कि ऐसा क्यों है और इन परंपराओं के पीछे क्या कारण छिपे हैं।
लाल और पीला रंग क्यों माने जाते हैं शुभ?
लाल रंग ऊर्जा, शक्ति और प्रेम का प्रतीक है। ये रंग हमारे धार्मिक और सांस्कृतिक रीति-रिवाजों में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। शादी में दुल्हन का लाल साड़ी पहनना या पूजा में लाल वस्त्र धारण करना शक्ति और शुभता का प्रतीक है।
पीला रंग ज्ञान, प्रकाश और समृद्धि का प्रतीक है। ये रंग विशेष रूप से पूजा-पाठ और शुभ कार्यों में पहना जाता है। पीला रंग देवताओं के प्रति श्रद्धा और सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। ये रंग आत्मविश्वास बढ़ाता है और हमारे मन को शांति देता है।
काला रंग क्यों नहीं पहनते शुभ अवसरों पर?
काले रंग को हमेशा से नकारात्मकता, बुरी ऊर्जा और विनाश का प्रतीक माना गया है। भारतीय परंपराओं में शुभ अवसरों पर काला रंग पहनने की मनाही है क्योंकि इसे नकारात्मक प्रभाव लाने वाला माना जाता है।
ज्योतिष के अनुसार, काला रंग शनि ग्रह से जुड़ा है, जो कठिनाइयों और संघर्षों का संकेत देता है। इसलिए शादी, पूजा और अन्य शुभ कार्यों में इस रंग से बचा जाता है।
पितृ कर्म और रंगों का महत्व
ज्योतिष शास्त्र में रंगों का अलग-अलग कर्मों में महत्व बताया गया है।
देव कर्म: शादी, पूजा, और अन्य धार्मिक कार्यों में लाल, पीला, हरा और नारंगी जैसे चमकीले रंग पहने जाते हैं। ये रंग शुभता और सकारात्मकता लाते हैं।
पितृ कर्म: श्राद्ध और पितरों से जुड़े कार्यों में सफेद या काले रंग को प्राथमिकता दी जाती है। सफेद शांति का प्रतीक है, जबकि काला रंग पितृ पक्ष से जुड़े कार्यों में उचित माना जाता है।
महिलाओं के वस्त्रों का खास महत्व
भारतीय संस्कृति में महिलाओं को घर की लक्ष्मी और शक्ति का प्रतीक माना गया है। यही कारण है कि शुभ अवसरों पर उन्हें विशेष रूप से लाल या पीले रंग की साड़ी पहनने की सलाह दी जाती है। इन रंगों को पहनकर महिलाएं न केवल परिवार की खुशहाली का प्रतीक बनती हैं, बल्कि ये रंग उनकी ऊर्जा और आत्मविश्वास को भी बढ़ाते हैं।
आधुनिक समय में रंगों की भूमिका
हालांकि आज के समय में काले रंग को फैशन में एक महत्वपूर्ण स्थान मिला है, लेकिन धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से ये रंग शुभ अवसरों के लिए आज भी वर्जित है। लोग अब भी शादी, त्योहार और पूजा में पारंपरिक रंगों का ही चयन करते हैं, ताकि परंपराओं का सम्मान हो और सकारात्मक ऊर्जा बनी रहे।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण
रंगों का मन और मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव होता है। लाल और पीला रंग हमारी भावनाओं को जागृत करते हैं और मन में खुशी लाते हैं। वहीं, काले रंग को अवसाद और चिंता से जोड़ा जाता है। ये भी एक वजह है कि शुभ अवसरों पर चमकीले और जीवंत रंगों को प्राथमिकता दी जाती है।
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