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Why Islamophobia Surging: यूरोप में इस्लामोफोबिया का तूफान, मोलनबेक-मालमो बने जिहादी केंद्र, शरणार्थी क्यों सिर चढ़ बैठे?

Why Islamophobia Surging: यूरोप में इस्लामोफोबिया का तूफान, मोलनबेक-मालमो बने जिहादी केंद्र, शरणार्थी क्यों सिर चढ़ बैठे?

Why Islamophobia Surging? अमेरिका और यूरोप में इस्लामोफोबिया का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। टेक्सस के ह्यूस्टन में एक मौलवी ने लाउडस्पीकर पर दुकानदारों को धमकाया कि पोर्क, शराब या लॉटरी टिकट मत बेचो। यह वीडियो वायरल होते ही गवर्नर ग्रेग एबॉट ने कहा कि शरिया कानून बैन है। इस्लामोफोबिया यूरोप और अमेरिका में मिनी पाकिस्तान इलाकों के कारण फैल रहा है। एबॉट ने 2017 के कानून का हवाला दिया, जो विदेशी कानूनों को अमेरिकी अधिकारों के खिलाफ चलने से रोकता है। उन्होंने कहा कि कोई शरिया थोपने की कोशिश करे तो पुलिस को रिपोर्ट करो।

ह्यूस्टन के मौलवी एफ. कासिम इब्न अली खान ने मस्जिद अत-तौहीद से निकलकर मुस्लिम दुकानदारों को हराम चीजें न बेचने को कहा। उन्होंने धमकी दी कि हम बॉयकॉट करेंगे। वीडियो में वे चिल्ला रहे थे कि इस्लाम के खिलाफ कुछ नहीं चलेगा। टेक्सस गवर्नर ने तुरंत एक्स पर पोस्ट किया कि मैंने शरिया बैन के कानून साइन किए। कोई डरने की जरूरत नहीं। CAIR जैसे मुस्लिम ग्रुप ने इसे फियरमॉन्गरिंग कहा, लेकिन लोकल लोग हैरान थे कि शरण लेने वाले अब नियम बदलना चाहते हैं। शरिया कानून विवाद ने अमेरिका में बहस छेड़ दी।

लंदन में 13 सितंबर को ‘यूनाइट द किंगडम’ मार्च निकला। टॉमी रॉबिन्सन ने आयोजित यह रैली एंटी-इमिग्रेशन थी। 1,10,000 से 1,50,000 लोग सड़कों पर उतरे। वे नारे लगा रहे थे, ‘हमें हमारा देश वापस दो’। पुलिस से झड़प हुई, 26 अफसर घायल हुए, 4 गंभीर। काउंटर-प्रोटेस्टर्स स्टैंड अप टू रेसिज्म के 5,000 लोग थे। मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने कहा कि प्रदर्शनकारी स्टेराइल एरिया तोड़ने की कोशिश कर रहे थे। अमेरिका लंदन विरोध में एलन मस्क ने कहा कि हिंसा आ रही है, लड़ो या मरो।

लंदन के ग्रीन स्ट्रीट और अप्टन पार्क को मिनी पाकिस्तान कहा जा रहा है। यहां उर्दू साइनबोर्ड, हलाल मीट की दुकानें और मस्जिदों से अजान सुनाई देती है। ईद पर 20,000 लोग जमा होते हैं। ब्रिक लेन को बांग्लाटाउन कहते हैं, जहां बांग्लादेशी समुदाय बस गया। लोकल ब्रिटिश लोग कहते हैं कि उनका शहर बदल गया। पब बंद हो रहे, मस्जिदें बढ़ रही हैं। मिनी पाकिस्तान इलाके से गुस्सा फूट पड़ा। वे कहते हैं कि लिबरल नीतियों ने शरणार्थियों को जगह दी, लेकिन अब वे संस्कृति बदल रहे हैं।

ब्रुसेल्स के मोलनबेक को जिहादी राजधानी कहा जाता है। 40% आबादी उत्तरी अफ्रीका से है। गलियां अरबी साइनबोर्ड से भरी हैं। 2015 पेरिस हमलों के बाद यहां से कई जिहादी पकड़े गए। पुलिस अकेले नहीं जाती, पत्थरबाजी होती है। स्वीडन के मालमो के रोसेनगार्ड में 85% बाहर के लोग हैं। 2015 में 10 लाख शरणार्थी आए। गलियों में अरबी बोली जाती है। आगजनी, गिरोहबाजी आम है। पुलिस इसे डेंजरस जोन कहती है। इस्लामोफोबिया यूरोप में ऐसे इलाकों से बढ़ रहा है।

यूरोप में कट्टर संगठन फल-फूल रहे हैं। हिज्ब उत-तहरीर मिस्र, सऊदी में बैन है, लेकिन ब्रिटेन-डेनमार्क में चला। 2024 में ब्रिटेन ने बैन किया। मुस्लिम ब्रदरहुड UAE में बैन, लेकिन यूरोप में चैरिटी के जरिए काम करता है। अमेरिका में मस्जिदों को 13 मिलियन डॉलर फंडिंग पर सवाल। शरिया कानून विवाद और मिनी पाकिस्तान इलाके से लोकल लोग अजनबी महसूस कर रहे हैं।

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