सुप्रीम कोर्ट ने न्यूज़क्लिक के संस्थापक-संपादक प्रबीर पुरकायस्थ की गिरफ्तारी को गैरकानूनी करार देते हुए उन्हें रिहा करने का आदेश दिया है। कोर्ट का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तारी के दौरान उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया।
दरअसल प्रबीर पुरकायस्थ को दिल्ली पुलिस ने 3 अक्टूबर 2023 को गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत गिरफ्तार किया था। उन पर चीन समर्थक प्रोपेगेंडा के लिए धन प्राप्त करने का आरोप था।
गिरफ्तारी की प्रक्रिया में क्या हुई चूक?
दिल्ली पुलिस ने पुरकायस्थ को गिरफ्तार तो कर लिया, लेकिन उन्हें गिरफ्तारी के कारणों की जानकारी नहीं दी, जो कि संविधान के अनुच्छेद 22(1) के खिलाफ है। इसके अलावा, रिमांड की सुनवाई के लिए उन्हें बिना किसी पूर्व सूचना के जज के घर ले जाया गया और उनके वकीलों को रिमांड की अर्ज़ी भी व्हाट्सएप पर बिना हस्ताक्षर की गई कॉपी के रूप में भेजी गई।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्यों महत्वपूर्ण है?
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला इस बात पर जोर देता है कि उचित प्रक्रिया और कानूनी प्रक्रिया का पालन करना कितना महत्वपूर्ण है, चाहे मामला कितना भी गंभीर क्यों न हो। ये आदेश मनमानी कार्रवाई के खिलाफ एक सुरक्षा कवच का काम करता है।
दिल्ली पुलिस की दलील क्या थी? दिल्ली पुलिस ने हाई कोर्ट में दलील दी थी कि पुरकायस्थ के खिलाफ लगे आरोप बहुत गंभीर हैं, इसलिए कोर्ट को तकनीकी आधार पर हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए पुरकायस्थ के ईमेल को सबूत के तौर पर पेश किया था।
सुप्रीम कोर्ट का ये फैसला नागरिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। ये दिखाता है कि कानून के शासन में पुलिस और जांच एजेंसियों को भी संविधान का पालन करना होगा। पुरकायस्थ की रिहाई का आदेश 15 मई को दिया गया। इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को सही ठहराया था।
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