छत्रपति संभाजीनगर (पूर्व में औरंगाबाद) में स्थित मुगल बादशाह औरंगजेब की मजार को लेकर एक बार फिर विवाद गर्म हो गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि औरंगजेब की कब्र को हटाने की मांग सिर्फ बीजेपी की नहीं, बल्कि सभी की है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह काम कानून के दायरे में ही हो सकता है।
औरंगजेब की मजार को लेकर विवाद
Controversy Over Aurangzeb’s Tomb
औरंगजेब, जो मुगल साम्राज्य का एक विवादित शासक रहा है, उसकी मजार को लेकर लंबे समय से बहस चल रही है। हिंदू संगठनों और कई राजनीतिक दलों का मानना है कि औरंगजेब एक आक्रांता था, जिसने भारत में हिंदुओं पर अत्याचार किए। इसलिए, उसकी मजार को छत्रपति संभाजीनगर से हटाकर कहीं और शिफ्ट किया जाना चाहिए। हाल ही में, हिंदू सेना ने गृह मंत्रालय से मांग की कि औरंगजेब की कब्र को खोदकर अरब सागर में फेंक देना चाहिए।
सीएम फडणवीस का बयान
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख अपनाते हुए कहा, “सभी का यही मानना है कि औरंगजेब की कब्र को छत्रपति संभाजीनगर से हटाया जाना चाहिए। हालांकि, यह काम कानून के दायरे में ही हो सकता है।” उन्होंने यह भी बताया कि पिछली कांग्रेस सरकार ने इस स्थल को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के संरक्षण में दे दिया था, जिससे इसे हटाने की प्रक्रिया और जटिल हो गई है।
औरंगजेब की मजार को लेकर राजनीतिक बहस
Political Debate Over Aurangzeb’s Tomb
इस मुद्दे पर राजनीतिक बहस तेज हो गई है। मराठा राजा छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज और सतारा से भाजपा सांसद उदयनराजे भोसले ने औरंगजेब की मजार को हटाने की मांग की थी। उनका कहना है कि औरंगजेब एक अत्याचारी शासक था, जिसने भारत में हिंदुओं पर जुल्म ढाए। इसलिए, उसकी मजार को संरक्षित करने का कोई मतलब नहीं है।
वहीं, समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आसिम आजमी ने औरंगजेब की प्रशंसा करते हुए विवाद खड़ा कर दिया था। उन्होंने औरंगजेब को एक महान बादशाह बताया, जिसके बाद उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा से निलंबित कर दिया गया। इस मुद्दे पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने भी आजमी को आड़े हाथों लिया।
औरंगजेब की मजार पर खर्च को लेकर सवाल
हिंदू जनजागृति समिति ने एक आरटीआई के जरिए पता लगाया कि 2011 से 2023 के बीच औरंगजेब की कब्र के रखरखाव पर लगभग 6.5 लाख रुपये खर्च किए गए। इस पर सवाल उठाया गया कि एक आक्रांता की कब्र पर इतना पैसा क्यों खर्च किया जा रहा है। वहीं, सिंधु दुर्ग के किले पर राज राजेश्वर मंदिर की देखभाल के लिए सालभर में केवल 6 हजार रुपये खर्च किए जाते हैं।
Aurangzeb’s Tomb
औरंगजेब की मजार को लेकर यह विवाद सिर्फ एक ऐतिहासिक स्थल का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भारत के इतिहास और संस्कृति को लेकर चल रही बहस का हिस्सा है। सीएम देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट किया है कि इस मामले में कानून का पालन करना जरूरी है। अब यह देखना होगा कि आने वाले समय में इस मुद्दे पर क्या फैसला होता है।
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