2 Officers Arrested in Shalarth Scam: नागपुर में शालार्थ आईडी घोटाले ने सबको हिलाकर रख दिया। विशेष जांच दल (SIT) ने दो बड़े शिक्षा अधिकारियों, सिद्धेश्वर श्रीराम कालुसे और रोहिणी विठोबा कुंभार को गिरफ्तार किया। इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने फर्जी शालार्थ आईडी बनाकर 398 शिक्षकों और कर्मचारियों को गैरकानूनी तरीके से वेतन दिया, जिससे सरकार को 100 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ।
शालार्थ पोर्टल महाराष्ट्र सरकार का एक सिस्टम है, जो सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में शिक्षकों और कर्मचारियों के वेतन और रिकॉर्ड को मैनेज करता है। हर कर्मचारी को एक खास शालार्थ आईडी मिलती है, जिसके जरिए वेतन दिया जाता है। SIT की जांच में पता चला कि कालुसे और कुंभार ने इस सिस्टम का गलत इस्तेमाल किया। कालुसे ने 16 मार्च 2024 से अपने कार्यकाल में 154 फर्जी शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन दिलवाया, जबकि कुंभार ने 21 मार्च 2022 से 15 मार्च 2024 तक 244 लोगों को गैरकानूनी तनख्वाह दी।
यह घोटाला तब सामने आया, जब जिला परिषद के कनिष्ठ प्रशासन अधिकारी रविंद्र पाटिल ने साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज की। उन्होंने बताया कि शालार्थ सिस्टम का दुरुपयोग करके फर्जी दस्तावेजों के आधार पर वेतन दिया जा रहा था। SIT ने इस मामले में अब तक 12 लोगों को पकड़ा है, जिनमें तीन उपसंचालक, एक शिक्षा अधिकारी, चार लिपिक, दो मुख्याध्यापक और दो स्कूल संचालक शामिल हैं।
पुलिस ने दोनों आरोपियों को बुधवार को कोर्ट में पेश किया। SIT ने सात दिन की पुलिस हिरासत मांगी, लेकिन कोर्ट ने इसे ठुकराकर दोनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। अब जांच दल इस फैसले के खिलाफ वरिष्ठ कोर्ट में अपील करने की तैयारी कर रहा है। सूत्रों के मुताबिक, यह घोटाला और बड़ा हो सकता है, क्योंकि नागपुर समेत जलगांव, नासिक और सोलापुर जैसे जिलों में भी ऐसी शिकायतें सामने आई हैं।
SIT की जांच से पता चला कि फर्जी शालार्थ आईडी बनाने के लिए 20 से 30 लाख रुपये तक की रिश्वत ली गई। इससे न सिर्फ अयोग्य लोगों को नौकरी दी गई, बल्कि सरकारी खजाने को भारी चपत भी लगी। नागपुर जिले में ही 1,056 स्कूलों की जांच चल रही है, जहां फर्जी शिक्षकों और कर्मचारियों की भर्ती हुई। इस घोटाले ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, और लोग इस बात से नाराज हैं कि सरकारी सिस्टम में इतनी बड़ी लापरवाही कैसे हुई।
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