देश की विभिन्न यूनिवर्सिटी के लगभग 200 वाइस चांसलरों और प्रोफेसरों ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को एक खुला पत्र लिखा है। इस पत्र में, उन्होंने राहुल गांधी द्वारा यूनिवर्सिटी के चयन प्रक्रिया पर किए गए टिप्पणियों की आलोचना की है। दरअसल राहुल गांधी ने ये दावा किया था कि वाइस चांसलरों की नियुक्ति योग्यता के आधार पर नहीं, बल्कि किसी संगठन से जुड़े होने के आधार पर की जाती है, जिससे चयन प्रक्रिया पर सवाल उठता है।
पत्र में लिखा गया है कि राहुल गांधी ने राजनीतिक लाभ उठाने के लिए झूठ का सहारा लिया है और पूरे सिस्टम को बदनाम किया है। इसमें ये भी अपील की गई है कि कानून के मुताबिक उनके खिलाफ तुरंत कार्रवाई की जाए।
इस खुले पत्र में वाइस चांसलरों और प्रोफेसरों ने अपनी अखंडता, नैतिक व्यवहार और संस्थागत अखंडता को बनाए रखने की जिम्मेदारी का उल्लेख किया है। उन्होंने ये भी कहा है कि वाइस चांसलरों के चयन में योग्यता, विशेषज्ञता और ईमानदारी के आधार पर पारदर्शी प्रक्रिया अपनाई जाती है।
इस पत्र के माध्यम से शिक्षाविदों ने राहुल गांधी के आरोपों का खंडन किया है और उन्होंने सभी से अपील की है कि वे तथ्यों और अफवाहों में अंतर समझें और निराधार अफवाहों को फैलाने से बचें।
इस पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में जेएनयू की वाइस चांसलर शांतिश्री धुलीपुडी पंडित, दिल्ली यूनिवर्सिटी के VC योगेश सिंह, एआईसीटीई के अध्यक्ष टीजी सीताराम और अन्य कई वरिष्ठ शिक्षाविद शामिल हैं। ये पत्र भारतीय शिक्षा प्रणाली में चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता और अखंडता को लेकर चल रही बहस का एक हिस्सा है, और निश्चित रूप से इसने शिक्षा जगत में व्यापक चर्चा को जन्म दिया है।
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