महाराष्ट्र

महाराष्ट्र में 21.22% मराठा गरीबी रेखा के नीचे – रिपोर्ट

महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग
महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग (SCMBC) द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में मराठा समुदाय की 28% आबादी में से 21.22% गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे हैं। रिपोर्ट में मराठा समुदाय के आर्थिक, सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ेपन को आधार बनाते हुए 10% आरक्षण की सिफारिश की गई है।

महाराष्ट्र में मराठा समुदाय को आरक्षण देने की मांग लंबे समय से की जाती रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा आरक्षण की अधिकतम सीमा 50% तय किए जाने की वजह से इस पर अमल नहीं हो पा रहा था। महाराष्ट्र सरकार ने मराठा समुदाय को 10% आरक्षण देने का विधेयक पारित किया है।

महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग (SCMBC) ने मराठा समुदाय को आरक्षण देने हेतु सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक आधार पर एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। इस रिपोर्ट के अनुसार, राज्य में इस समुदाय की कुल आबादी 28% है, जिसमें से 21.22% गरीबी रेखा के नीचे हैं, जो राज्य के औसत (17.4%) से भी अधिक है।

रिपोर्ट में बताया गया है कि महाराष्ट्र में होने वाली किसानों की आत्महत्याओं में 94% मराठा समुदाय से हैं। इसके अलावा, इस समुदाय के 84% लोग नॉन-क्रीमी लेयर में आते हैं, यानी कि जिनकी वार्षिक आय ₹8 लाख से कम है। रिपोर्ट में खराब होती कृषि, ज़मीन का बँटवारा, और पारंपरिक व्यवसायों से आमदनी में कमी को मराठा समुदाय की आर्थिक बदहाली के कारणों के रूप में बताया गया है।

रिपोर्ट में शैक्षिक पिछड़ेपन पर भी प्रकाश डाला गया है और बताया गया है कि माध्यमिक, उच्चतर और व्यावसायिक शिक्षा में मराठा समुदाय का प्रतिनिधित्व कम है। इस रिपोर्ट के आधार पर महाराष्ट्र सरकार ने मराठा आरक्षण बिल को विधानसभा में पारित कर दिया है।

महाराष्ट्र पिछड़ा वर्ग आयोग की यह रिपोर्ट मराठा समुदाय के पिछड़ेपन के तथ्य सामने रखती है। राज्य सरकार द्वारा पारित विधेयक के अमल में आने के बाद मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण मिल सकेगा।

You may also like