एक केरल के परिवार को अपने बेटे की मौत का इंसाफ मिलने में 25 साल लग गए। तारापुर एटॉमिक पावर स्टेशन (TAPS) अस्पताल की लापरवाही की वजह से उनके बेटे की जान चली गई थी। अब जाकर कोर्ट ने अस्पताल को 16 लाख रुपये हर्जाना देने का आदेश दिया है।
साल 1998 में हरीश नाम के लड़के को तेज बुखार होने पर उसके माता-पिता ने TAPS अस्पताल में भर्ती कराया था। लेकिन अस्पताल वालों ने उसकी सही से देखभाल नहीं की और हालत बिगड़ती चली गई।
हरीश की हालत बिगड़ी, मौत हो गई
हरीश की हालत बिगड़ते देख उसे दूसरे अस्पताल भेजा गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। हरीश की मौत हो गई। उसके माता-पिता का आरोप था कि TAPS अस्पताल के डॉक्टरों ने लापरवाही की, जिसकी वजह से उनके बेटे की जान चली गई।
कई सालों तक चला इंसाफ का इंतज़ार
इस मामले में परिवार को इंसाफ मिलने में 25 साल लग गए। उन्होंने कई जगह गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। आखिरकार नेशनल कंज्यूमर कोर्ट ने फैसला सुनाया कि अस्पताल की लापरवाही से ही हरीश की मौत हुई थी।
अस्पताल को भरना होगा हर्जाना
अदालत ने TAPS अस्पताल को हरीश के परिवार को 16 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। साथ ही, 1998 से लेकर अब तक 9% ब्याज भी देना होगा।
अस्पताल ने ठहराया खुद को बेकसूर
अस्पताल ने अपने ऊपर लगे आरोपों को गलत बताया और कहा कि उन्होंने सही इलाज किया था। लेकिन कोर्ट ने मेडिकल रिपोर्ट्स और सबूतों के आधार पर अस्पताल को दोषी माना।
इंसाफ की जीत
यह फैसला उन लोगों के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो मेडिकल लापरवाही का शिकार होते हैं। यह दिखाता है कि देर से ही सही, इंसाफ मिल सकता है।