Ganesh Idol Immersion Order: मुंबई में गणेशोत्सव की तैयारियां जोरों पर हैं, लेकिन इस बार विसर्जन को लेकर एक बड़ा बदलाव हुआ है। बॉम्बे हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि सिर्फ 6 फीट से ऊंची प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) की गणेश मूर्तियां ही समुद्र या प्राकृतिक जलमार्गों में विसर्जित की जा सकेंगी। 6 फीट तक की मूर्तियों का विसर्जन केवल कृत्रिम झीलों में होगा।
पहले हाईकोर्ट ने पीओपी मूर्तियों के समुद्र में विसर्जन पर पूरी तरह रोक लगा दी थी, क्योंकि ये पर्यावरण और समुद्री जीवों के लिए नुकसानदायक हैं। लेकिन महाराष्ट्र सरकार ने कोर्ट में कहा कि इस साल बड़ी मूर्तियों को कृत्रिम झीलों में विसर्जित करने की पूरी व्यवस्था करना मुश्किल है। सरकार के हलफनामे और तर्कों के बाद कोर्ट ने गुरुवार को ये फैसला सुनाया।
हाईकोर्ट ने साफ किया कि ये अनुमति सिर्फ इस साल के गणेशोत्सव, अन्य त्योहारों और मार्च 2026 में होने वाले माघी गणेशोत्सव तक के लिए है। मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और जस्टिस संदीप मार्ने की बेंच ने ये भी कहा कि सभी नगर पालिकाओं और स्थानीय निकायों को इस नियम का सख्ती से पालन करना होगा। कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि वो ज्यादा से ज्यादा कृत्रिम झीलों की व्यवस्था करे।
सरकार ने पहले वादा किया था कि 5 फीट तक की मूर्तियां कृत्रिम झीलों में विसर्जित होंगी, लेकिन कोर्ट ने इसे 6 फीट तक बढ़ा दिया। पिछले साल मुंबई में 1 लाख 95 हजार 306 पीओपी मूर्तियों में से 85 हजार 306 को कृत्रिम झीलों में विसर्जित किया गया था। इस साल भी ऐसी ही व्यवस्था होगी। बीएमसी ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि वो और कृत्रिम झीलें बनाएगी।
सांस्कृतिक मामलों के मंत्री आशीष शेलार ने इस मुद्दे पर काफी मेहनत की। उन्होंने राजीव गांधी विज्ञान और प्रौद्योगिकी आयोग से पीओपी के असर पर स्टडी करवाई। डॉ. अनिल काकोडकर की कमेटी ने सुझाव दिए, जिसके बाद केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने पीओपी पर बैन हटा लिया। शेलार ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण मंत्री से भी बात की थी।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अगुआई में सरकार ने गणेशोत्सव मंडलों और मूर्तिकारों का पक्ष कोर्ट में रखा। उनका कहना था कि पीओपी पर पूरी रोक से लाखों मूर्तिकारों की रोजी-रोटी छिन सकती है। बृहन्मुंबई सार्वजनिक गणेशोत्सव समन्वय समिति के अध्यक्ष नरेश दहिबावकर ने कोर्ट के फैसले का स्वागत किया, लेकिन कहा कि सरकार को इस मुद्दे का स्थायी हल निकालना चाहिए, न कि सिर्फ एक साल की छूट देनी चाहिए।
अब सबकी नजर इस बात पर है कि गणेशोत्सव में ये नए नियम कैसे लागू होंगे। मुंबई की सड़कों पर गणपति की रौनक तो बरकरार रहेगी, लेकिन पर्यावरण और परंपरा के बीच संतुलन बनाना बड़ी चुनौती है।
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