सीकर, राजस्थान: दांतारामगढ़ के आदर्श विद्या मंदिर स्कूल में चौथी कक्षा की छात्रा प्राची कुमावत (9 वर्ष) की बुधवार को Heart Attack से मौत हो गई। घटना उस समय हुई जब प्राची लंच ब्रेक के दौरान अपना टिफिन खोल रही थी। अचानक उसे घबराहट हुई और वो जमीन पर गिर पड़ी।
स्कूल स्टाफ ने तुरंत प्राची को दांतारामगढ़ की सरकारी डिस्पेंसरी पहुंचाया, जहां से उसे सीकर के एसके अस्पताल रेफर किया गया। लेकिन एंबुलेंस में शिफ्ट करते समय उसकी हालत बिगड़ गई और उसकी मौत हो गई।
इस घटना से स्कूल में शोक की लहर दौड़ गई और बच्चों को छुट्टी दे दी गई। प्राची की मौत ने बच्चों में हार्ट अटैक की बढ़ती घटनाओं पर चिंता बढ़ा दी है। इससे पहले भी एक 12 साल के बच्चे की हार्ट अटैक से मौत की खबर सामने आई थी।
अब सावधान होने की है सख्त जरूरत
आए दिन इस तरह की खबर दिल दहला देनेवाली है, लेकिन अबह जरूरत है इस तरह की खबरों को आने से रोकने की, और वो तब होती जब हमारे बच्चे स्वस्थ होंगे। काफी चिंता की बात है कि पढ़ाई का लोड हम अपने बच्चों पर इतना ज्यादा बढ़ा दे रहे हैं कि उनके पास फिजिकल एक्टिविटी के लिए वक्त ही नहीं बचता। यही नहीं, पढ़ाई का प्रेशर उनपर इतवा है कि लो मेंटली टेंशन फ्री भी नहीं रह पाते, और बीमारी के शिकार होते जा रहे हैं।
ज्यादा से ज्यादा हम ये करते हैं कि बच्चे के हाथ में मोबाइल, लैपटॉप या टैब थमा देते हैं, ताकि वो अपना टाइम पास कर सकें। लेकिन अब संभल जाइए, क्योंकि अब नहीं संभले तो संभालना मुश्किल हो जाएगा। अपने बच्चों के फिजिकल एक्टिविटी और खान-पान पर पढ़ाई से ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है।
स्कूल में कंपलसरी हो 1 घंटे का फिजिकल एक्टिविटी
सभी स्कूलों में कंपसरी तौर पर 1 घंटे का फिजिकल एक्टिविटी होना चाहिए। ना सिर्फ पैरेंट्स, बल्कि शिक्षकों को भी चाहिए कि सख्ती से इस बात का पालन करे कि बच्चे खेल-धूप में हिस्सा ले पाएं। रोजाना फिजिकल एक्टिविटी कराना स्कूल के टाइम-टेबल में निश्चित रूप से फिक्स हो। हर बच्चे को इस बात की सीख दी जानी चाहिए कि उन्हें किस तरह के खान-पान की आदत होनी चाहिए, क्योंकि बच्चे मां-बाप से ज्यादा शिक्षकों की बातों को मानते हैं।
हर बच्चे को दी जानी चाहिए CPR ट्रेनिंग
हर स्कूल में हर बच्चे को CPR की ट्रेनिंग दी जानी चाहिए, ताकि भगवान ना करे कभी उनका कोई दोस्त, या क्लासमेट Heart Attack जैसे सिचुएशन में आए, तो उसे तुरंत CPR दी जा सके।
मेंटली तौर पर बच्चे को बनाएं स्ट्रांग
हर बच्चे को मेंटली तौर पर स्ट्रांग बनाने के लिए पैरेंट्स सहित शिक्षकों को भी ध्यान देना चाहिए। अब वो जमाना गया, जब बच्चों को पैरेंट्स और शिक्षक जमकर पीट देते थे और फिर भी बच्चे मेंटली तौर पर फिट रहते थे, क्योंकि ज्वाइंट फैमिली होने की वजह से बच्चों को प्यार करनेवालों की भी कमी नहीं रहती थी। लेकिन आज के समय में ज्यादातर बच्चे सिर्फ अपने मां-बाप के साथ रहते हैं, और वो मां-बाप भी दिनभर ऑफिस में रहते हैं। ऐसे में बच्चे काफी ज्यादा अकेलापन महसूस करते हैं, और मेंटली वीक होते हैं। इसलिए उन्हें इमोशनली और मेंटली फिट रखने के लिए मां-बाप को चाहिए कि अपने बच्चों के साथ क्वालिटी टाइम स्पैंड करें, और शिक्षकों को चाहिए कि वो बच्चों को बिना प्रेशर डाले अच्छी शिक्षा प्रदान करें।
मोटापे से दूर रखें बच्चों को
कम फिजिकल एक्टिविटी और ज्यादा फास्ट फूड का सेवन बच्चों को मोटापे का शिकार बनाता है। तो सिंपल सी बात वही है कि उन्हें फिट रखने के लिए इस तरह के दुश्मनों से उन्हें बचाकर रखें। ना सिर्फ फास्ट फूड, ब्लकि चीनी और सॉफ्ट ड्रिंक जैसे जहरीले चीजों से भी दूर रखें। उन्हें फाइबर से भरपूर डाइट जैसे फल, सब्जियां, दालें और नट्स खाने के आदि बनाएं।
समय-समय पर हेल्थ चेकअप करवाएं
अपने बच्चे का कम से कम साल में एक बार फुल हेल्थ चेकअप करवाएं, जिसमें शुगर लेवल, बीपी और ECG भी शामिल हो।
अच्छी नींद जरूरी है
बच्चों के लिए कंपरसरी कर दें कि वो रोजाना 8 से 9 घंटे की पूरी नींद लें। अगर स्कूल या ट्यूशन का दबाव बढ़े तो शिक्षकों से बात करें, अपने बच्चों को सपोर्ट करें।
गौरतलब है कि, बचपन में हार्ट अटैक अभी भी एक दुर्लभ लेकिन गंभीर समस्या है। कोविड के बाद बच्चों की इम्यूनिटी और हार्ट हेल्थ पर असर पड़ा है, वहीं आज की लाइफस्टाइल ने खतरे को और बढ़ा दिया है। हम जितना जल्दी सतर्क होंगे, उतना ही बच्चों का भविष्य सुरक्षित रख सकेंगे।
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