बेंगलुरु कैफे ब्लास्ट: बेंगलुरु के रामेश्वरम कैफे में हुए बम ब्लास्ट की गुत्थी पुलिस ने सुलझा ली है। इस केस में अब तक 13 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं। पुलिस के मुताबिक, एक नकली आधार कार्ड और उससे खरीदे गए सिम कार्ड ने इस पूरे केस को खोलने में अहम भूमिका निभाई।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि ब्लास्ट में शामिल एक संदिग्ध का फोन इसी सिम से चलता था। जांचकर्ताओं को मार्च के मध्य में यह अहम लीड मिली, जब उन्होंने चेन्नई के उन लॉज की जांच की जहां ब्लास्ट का मुख्य आरोपी रुककर गया था।
27 मार्च को NIA ने ब्लास्ट के सामान की खरीद में मदद करने वाले 30 साल के एक फास्ट फूड आउटलेट मैनेजर मुज़म्मिल शरीफ को गिरफ्तार किया। उसी दिन NIA ने यह भी बताया कि ब्लास्ट करने वाले दो शख्स की पहचान कर ली गई है – वो थे 30 साल के मुसव्विर हुसैन शाजिब और अब्दुल मतीन ताहा, जिनको पुलिस काफी समय से तलाश रही थी। ये दोनों 2020 से एक IS रिक्रूटमेंट प्लॉट के सिलसिले में गायब थे।
ये लोग बचने के लिए तरह-तरह के हथकंडे इस्तेमाल करते थे – जैसे कई फर्जी पहचान पत्र, सेकंड-हैंड और थर्ड-हैंड फोन, एनक्रिप्टेड चैट्स। लेकिन फिर भी चेन्नई में उनसे गलती हो गई। पुलिस को वहीं से एक फोन नंबर मिला जो शरीफ से जुड़ा हुआ था। सूत्रों के मुताबिक ये सिम कार्ड शरीफ कुछ महीने पहले इस्तेमाल कर रहा था।
शरीफ ने कई बार आरोपियों से मुलाकात कर उन्हें फर्जी सिम कार्ड और आईडी मुहैया करवाई थी।
NIA ने 29 मार्च को बताया कि ताहा ब्लास्ट से पहले चेन्नई के कुछ लॉज में रुका था, और वहां उसने विग्नेश बी डी और सुमित नाम की फर्जी पहचान का इस्तेमाल किया था। NIA के अनुसार, शाजिब भी वहां पर मोहम्मद जुनेद सईद नाम का नकली आईडी कार्ड इस्तेमाल कर रहा था।
ये लोग कभी भी खुद नया सिम या फोन नहीं खरीदते थे, बल्कि दूसरों के नाम से लिए हुए फोन और सिम इस्तेमाल करते थे। एक बार किसी संदिग्ध के फोन से करीब 150 सिम कार्ड इस्तेमाल होने का पता चला है!
पुलिस के लिए यह पता लगाना भी जरूरी है कि 2020 से गायब होने के बाद ये दोनों अपना गुजारा कैसे चला रहे थे। ऐसा बताया जाता है कि ताहा किसी क्रिप्टोकरेंसी रूट के जरिए पैसे लेता था, जिन्हें वो दोस्तों के अकाउंट में भेजता था और वो आगे उसे भारतीय रुपयों में बदल कर देते थे। ताहा अपने साथ नकदी ही रखता था और जिस भी लॉज में रहता, वहां की पेमेंट कैश में करता था।
NIA इस बात की भी जांच कर रही है कि ताहा ने क्रिप्टोकरेंसी के जरिए मुज़म्मिल शरीफ को पैसे भेजे थे, जिनका इस्तेमाल ब्लास्ट के लिए सामान खरीदने में किया गया था।