मुंबई में RTE के तहत आर्थिक रूप से कमज़ोर बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में दाखिला दिलाने की प्रक्रिया चल रही है। मगर, इस साल नियम बदल जाने से मुश्किलें खड़ी हो गई हैं। बहुत कम अभिभावकों ने अब तक इसके लिए रजिस्टर करवाया है।
RTE क्या है? RTE यानी राइट टु एजुकेशन एक्ट के तहत हर प्राइवेट स्कूल को अपनी कुछ सीटें गरीब बच्चों के लिए रखनी होती हैं। इन बच्चों की पढ़ाई का खर्च सरकार देती है।
इस साल नियम क्यों बदले? महाराष्ट्र सरकार ने इस साल RTE नियमों में बदलाव कर दिया है। अब अगर किसी इलाके में सरकारी या सरकारी मदद वाले स्कूल हैं, तो आसपास के प्राइवेट स्कूलों को RTE सीटें रखने की जरूरत नहीं।
क्यों नहीं मिल रहे प्राइवेट स्कूल?
जिन इलाकों में पहले से सरकारी या सरकारी मदद वाले स्कूल हैं, वहां के बच्चों को पहले इन्हीं स्कूलों में दाखिला लेना होगा। RTE की वेबसाइट पर भी इन्हीं स्कूलों के नाम दिख रहे हैं। इस वजह से अभिभावक परेशान हैं।
“मेरा बच्चा भी अंग्रेज़ी स्कूल में जाए”
मुंबई की रहने वाली हिना खान जैसी कई माएं परेशान हैं। वो चाहती हैं कि उनका दूसरा बच्चा भी उसी प्राइवेट स्कूल में पढ़े जहां उनका बेटा पढ़ता है। मगर अब नियम की वजह से ऐसा नहीं हो पा रहा है।
कोर्ट में चुनौती
RTE के नए नियमों के खिलाफ मुंबई हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल हुई हैं। कोर्ट ने इस मामले में सरकार से जवाब मांगा है।
सरकार का ये कदम समझना मुश्किल है। इससे गरीब बच्चों को अच्छी शिक्षा के मौके कम हो जाएंगे। लगता है सरकार खर्चे कम करने के चक्कर में यह फैसला ले रही है।