पाकिस्तान को समुद्र में और भी शक्तिशाली बनाने के लिए चीन ने उसकी बड़ी मदद की है। चीन ने पाकिस्तान के लिए हंगोर श्रेणी की पहली पनडुब्बी बना दी है। पानी के अंदर दुश्मन को मात देने वाली यह पनडुब्बी भारत की चिंता बढ़ा सकती है।
आपको बता दें कि पाकिस्तान ऐसी आठ पनडुब्बियां चीन से खरीदने वाला है। ये पनडुब्बियां चीन की युआन श्रेणी की पनडुब्बियों का एक्सपोर्ट वर्ज़न हैं। पाकिस्तान के पास पहले से एक हंगोर पनडुब्बी थी जिसने 1971 में भारतीय युद्धपोत आईएनएस खुकरी को भी डुबो दिया था।
हंगोर पनडुब्बी की ताकत
डीजल और बिजली से चलने वाली इस पनडुब्बी में एक खास तकनीक भी है – ‘एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन’ (AIP)। इस तकनीक से पनडुब्बी कई दिनों तक पानी के अंदर रह सकती है, जिससे दुश्मन को इसे ढूंढना मुश्किल हो जाता है। इस पनडुब्बी में छह टॉरपीडो ट्यूब लगे हैं जो जहाज और दूसरी पनडुब्बियों पर हमला कर सकते हैं।
भारत की कालवारी पनडुब्बी से तुलना
भारत के पास स्कॉर्पीन श्रेणी की कालवारी पनडुब्बियां हैं, जो पाकिस्तान की नयी पनडुब्बियों से मुकाबला कर सकती हैं। हंगोर पनडुब्बी कालवारी से बड़ी जरूर है पर उथले पानी में उतनी फुर्तीली नहीं होगी। हंगोर की AIP तकनीक के कारण ये पानी के नीचे ज्यादा समय तक रह सकती है। हालांकि, भारत भी अपनी कालवारी पनडुब्बियों में स्वदेशी AIP सिस्टम लगा रहा है।
पनडुब्बियां पानी के अंदर का युद्ध जीत सकती हैं। चीन द्वारा पाकिस्तान को ये तकनीक देना भारत और पाकिस्तान के बीच समुद्री सुरक्षा को लेकर प्रतिस्पर्धा को और बढ़ाएगा।
हंगोर पनडुब्बी में बाबर-3 क्रूज मिसाइल भी लगाई जा सकती है, जिसकी मारक क्षमता 450 किलोमीटर है।