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कियारा आडवाणी का अंग्रेजी में ‘फेक एक्सेंट’? ये क्या है ‘कोड-स्विचिंग’ का चक्कर?

कियारा आडवाणी
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कान्स फिल्म फेस्टिवल में कियारा आडवाणी के इंटरव्यू ने सोशल मीडिया पर बहस छेड़ दी है। क्या उनका बदला हुआ लहजा बनावटी है या ये कोई और बात है? चलिए समझते हैं ‘कोड-स्विचिंग’ का ये फंडा।

कियारा कान्स में अपने आउटफिट से तो वाहवाही लूट ही रही थीं, लेकिन एक इंटरव्यू में उनके अंग्रेजी बोलने के अंदाज़ ने सबको चौंका दिया। लोग इसे “फेक एक्सेंट” कह रहे हैं, लेकिन क्या ये सच है?

कोड-स्विचिंग क्या है?
डॉ. पंकज बोराडे, एक मनोचिकित्सक के अनुसार, कोड-स्विचिंग एक आम बात है। इसमें हम अलग-अलग माहौल में अपनी भाषा, बोली या लहजे को बदल लेते हैं। ये हमारे दिमाग का एक स्वाभाविक गुण है।

क्यों बदलते हैं लहजा?
इसके कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि-
समझ में आना: हो सकता है कि कियारा ने जानबूझकर अपना लहजा बदला हो ताकि अंतरराष्ट्रीय दर्शक उन्हें आसानी से समझ सकें।

घुलना-मिलना: फिल्म इंडस्ट्री में एक खास तरह की अंग्रेजी आम है। कियारा शायद उसी माहौल में ढलने की कोशिश कर रही हों।

छवि बनाना: कई बार एक खास छवि बनाने के लिए भी लहजे में बदलाव किया जाता है। कियारा भी शायद यही कर रही हों।

जानबूझकर या अनजाने में?
डॉ. बोराडे बताते हैं कि अक्सर हमें पता भी नहीं चलता और हम कोड-स्विचिंग कर लेते हैं। कियारा के मामले में, लोगों को उनका लहजा बनावटी लग रहा है, जिससे उन्हें निराशा हो रही है।

क्या हम कोड-स्विचिंग को नियंत्रित कर सकते हैं?
बिल्कुल! इसके लिए कुछ उपाय हैं। जैसे कि –
खुद को समझें: ध्यान दें कि आप अलग-अलग जगहों पर कैसे बोलते हैं।
लगातार अभ्यास करें: अगर आप अपने स्वाभाविक अंदाज़ में बोलने में सहज हैं, तो हर जगह वैसे ही बोलने की कोशिश करें।
राय लें: अपने दोस्तों या सहकर्मियों से अपने बोलने के तरीके पर ईमानदार राय लें।

कोड-स्विचिंग एक आम बात है और इसे समझना ज़रूरी है। इससे हमें अलग-अलग सामाजिक परिवेशों में बातचीत करने में मदद मिलती है। वैसे कियारा आडवाणी इससे पहले भी अपने अभिनय और स्टाइल के लिए सुर्खियों में रह चुकी हैं।

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