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भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस शुरू! इन 3 नामों से पार्टी कार्यकर्ता चौंकेंगे

भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस शुरू

भाजपा में राष्ट्रीय अध्यक्ष की रेस शुरू: देश में लोकसभा चुनाव हो चुके हैं और भाजपा को अपनी उम्मीदों के मुताबिक सीटें नहीं मिलीं। अब पार्टी में बड़े बदलाव की जरूरत महसूस हो रही है। सबसे बड़ा सवाल है कि भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा। जेपी नड्डा ने मंत्री पद की शपथ ले ली है और जल्द ही अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे सकते हैं। इस बीच, तीन नाम चर्चा में हैं, जो सबको चौंका सकते हैं।

1. सुनील बंसल

सुनील बंसल को अमित शाह के बाद भाजपा में दूसरा चाणक्य कहा जाता है। शाह और बंसल की जोड़ी ने यूपी में 2014 के लोकसभा चुनाव और 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को बड़ी जीत दिलाई थी। बंसल ने इस बार के लोकसभा चुनाव में पार्टी के कॉल सेंटर संभाले, फीडबैक लिया और कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र दिया।

2. अनुराग ठाकुर

अनुराग ठाकुर हिमाचल प्रदेश की हमीरपुर सीट से पांचवीं बार सांसद बने हैं। उन्होंने संगठन का काफी अनुभव भी हासिल किया है और भाजपा युवा मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे हैं। ठाकुर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे हैं और उन्हें संगठन की अच्छी समझ है। उनके पिता प्रेम कुमार धूमल हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री रह चुके हैं।

3. विनोद तावड़े

विनोद तावड़े महाराष्ट्र से हैं और उनके पास दो दशक का संगठन का अनुभव है। वे भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव हैं और बचपन से ही आरएसएस से जुड़े हुए हैं। तावड़े को कम बोलने और सीधे बात करने वाले नेता के रूप में जाना जाता है। उन्होंने 2014 में पहली बार विधायक बनकर देवेन्द्र फडणवीस की कैबिनेट में काम किया।

नए अध्यक्ष पर होगी बड़ी जिम्मेदारी

भाजपा के नए अध्यक्ष के सामने बड़ी चुनौतियां होंगी। पार्टी को महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और कर्नाटक में झटका लगा है। नए अध्यक्ष को इन राज्यों में संगठन को फिर से मजबूत करना होगा। इस साल महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में विधानसभा चुनाव हैं और नए अध्यक्ष पर इन राज्यों में पार्टी को जिताने की जिम्मेदारी होगी। यही समय होगा जब पार्टी अध्यक्ष का लिटमस टेस्ट होगा।

RSS की भूमिका

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति में RSS की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। कई रिपोर्ट्स में कहा गया है कि इस बार के चुनाव में RSS ने भाजपा के लिए कड़ी मेहनत नहीं की। अब पार्टी RSS को किनारे करने का जोखिम नहीं उठाएगी और नए अध्यक्ष को चुनते समय RSS की सहमति ली जाएगी।

यह देखना दिलचस्प होगा कि भाजपा का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन बनता है और वह पार्टी को किस दिशा में ले जाएगा। इन तीन नामों में से कोई भी अध्यक्ष बनता है, तो भाजपा के संगठन में नए बदलाव और मजबूती की उम्मीद की जा सकती है।

यह लेख भाजपा के लिए एक चेतावनी और मार्गदर्शन के रूप में देखा जा सकता है, जिससे वे अपनी रणनीति में सुधार कर आगामी चुनावों में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

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