NRI Quota: भारत की शिक्षा प्रणाली हमेशा से ही बहस का विषय रही है। लेकिन हाल ही में Supreme Court ने NRI कोटा को लेकर जो टिप्पणियां की हैं, उससे इस सिस्टम की पोल खुल गई है। कोर्ट का कहना है कि यह कोटा पूरी तरह से एक फ्रॉड (धोखाधड़ी) बन चुका है, जिसे बंद करना जरूरी है। पंजाब में NRI कोटा का दायरा बढ़ाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाते हुए इसे भारत की शिक्षा प्रणाली के लिए घातक बताया है।
NRI कोटा: फ्रॉड का नया जरिया
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार की उस अधिसूचना को रद्द कर दिया, जिसमें NRI कोटे (NRI Quota) का दायरा बढ़ा दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि NRI कोटा अब “बैक डोर एंट्री” का माध्यम बन चुका है, जिसका मकसद सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाना है। कोर्ट ने सख्त टिप्पणियों के साथ कहा कि यह धोखाधड़ी अब और बर्दाश्त नहीं की जा सकती। Supreme Court के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने इस पर कहा कि NRI कोटा सिस्टम को बंद किया जाना चाहिए। यह सिस्टम योग्य छात्रों का हक छीनने का काम कर रहा है और शिक्षा प्रणाली को कमजोर बना रहा है।
NRI कोटा (NRI Quota) का गलत विस्तार
पंजाब सरकार ने अगस्त में एक अधिसूचना जारी कर NRI कोटे (NRI Quota) की परिभाषा का विस्तार किया था, जिसमें NRI के नजदीकी रिश्तेदार जैसे चाचा-चाची, दादा-दादी, नाना-नानी आदि को भी इस कोटे का लाभ देने का फैसला किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि यह विस्तार सिर्फ पैसे के बल पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिला लेने का एक तरीका बन गया है। कोर्ट ने कहा कि पंजाब के ज्यादातर लोगों के NRI रिश्तेदार होते हैं, और इस अधिसूचना से योग्य छात्रों को न सिर्फ नुकसान हो रहा है, बल्कि यह देश की शिक्षा प्रणाली के साथ खिलवाड़ है।
पैसे के दम पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिला
हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह कोटा सिस्टम पैसे के बल पर मेडिकल कॉलेजों में दाखिला पाने का जरिया बन चुका है। उनके मुवक्किल ने 636 अंक हासिल किए थे, फिर भी उसे एडमिशन नहीं मिला। जबकि इस कोटे में मात्र 250 अंक वाले छात्र को एडमिशन मिल गया। कोर्ट ने इसे बेहद नुकसानदेह करार दिया और कहा कि जिस छात्र ने तीन गुना ज्यादा अंक हासिल किए हैं, उसे पीछे कर किसी रिश्तेदार को एडमिशन देना एक गंभीर गलती है।
NRI कोटा (NRI Quota) का भविष्य
सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बाद इस कोटे को लेकर नई बहस छिड़ गई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सरकार इस पर क्या कदम उठाती है। फिलहाल, सुप्रीम कोर्ट ने यह साफ कर दिया है कि इस तरह की धोखाधड़ी अब और नहीं चलेगी।
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