Haryana exit poll analysis: हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024 के एग्जिट पोल के नतीजों ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा का नया मुद्दा खड़ा कर दिया है। एक तरफ, बीजेपी के बढ़ते वोट (BJP’s rising votes) दिखाई दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर, उसकी सीटें घटने का अनुमान जताया जा रहा है।
यह स्थिति न सिर्फ चौंकाने वाली है, बल्कि इसके पीछे का गणित भी काफी पेचीदा है। आइए जानते हैं, आखिर ऐसा क्यों हो रहा है, और हरियाणा का एग्जिट पोल विश्लेषण (Haryana exit poll analysis) कैसे बदल रहा है।
कांग्रेस को प्रचंड बहुमत की उम्मीद
हरियाणा के इस बार के चुनावी समीकरण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका कांग्रेस की दिखाई दे रही है। एग्जिट पोल के आंकड़े बताते हैं कि कांग्रेस की प्रचंड जीत (Congress’s massive victory) की संभावनाएं बढ़ती जा रही हैं। राज्य की 90 सदस्यीय विधानसभा में सरकार बनाने के लिए 46 सीटों की जरूरत होती है, और एग्जिट पोल्स में कांग्रेस को 50 से 58 सीटें मिलने का अनुमान है।
यहां तक कि कांग्रेस के वोट शेयर में भी मजबूत बढ़त दिखाई दे रही है। इंडिया टुडे-सी वोटर सर्वे के मुताबिक, कांग्रेस को इस बार 43.8 प्रतिशत वोट (43.8 percent votes) मिलने का अनुमान है, जो उसे बहुमत के पार पहुंचाने के लिए पर्याप्त है। हालांकि, अगर पिछले लोकसभा चुनाव से तुलना की जाए, तो कांग्रेस का वोट शेयर लगभग 4 प्रतिशत गिरा है। उस समय पार्टी को 47.61 प्रतिशत वोट मिले थे और उसने बीजेपी को राज्य में करारी हार दी थी।
बीजेपी को नुकसान क्यों हो रहा है?
एग्जिट पोल के आंकड़ों के मुताबिक, बीजेपी का बढ़ता वोट शेयर (BJP’s increasing vote share) इस बार 37.2 प्रतिशत रहने की संभावना है। यह पिछले विधानसभा चुनाव के मुकाबले मामूली वृद्धि है, जब पार्टी को 36.49 प्रतिशत वोट मिले थे। फिर भी, सीटों के मामले में बीजेपी को नुकसान झेलना पड़ सकता है। एग्जिट पोल्स के अनुमानों के अनुसार, बीजेपी इस बार 20 से 28 सीटों पर सिमट सकती है, जो उसके लिए बड़ा झटका साबित होगा।
यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि वोट बढ़ने के बावजूद सीटों में गिरावट (rising votes but dropping seats) क्यों हो रही है। दरअसल, इसके पीछे कई कारण हैं, जिनमें विपक्षी पार्टियों का कमजोर प्रदर्शन और सीटों के बंटवारे का तरीका मुख्य हैं।
जेजेपी और आईएनएलडी की स्थिति
पिछले विधानसभा चुनाव में जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) और इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) ने अहम भूमिका निभाई थी। जेजेपी को तब 14.8 प्रतिशत वोट मिले थे और उसने 10 सीटें जीती थीं। इस बार के एग्जिट पोल में जेजेपी को सिर्फ 3.8 प्रतिशत वोट मिलने का अनुमान है, जिससे उसकी सीटें शून्य से 3 तक सीमित रह सकती हैं। वहीं, आईएनएलडी का हाल और भी बुरा दिख रहा है, और उसे कोई भी सीट मिलने की उम्मीद नहीं जताई जा रही है।
दरअसल, इस बार चुनावी मुकाबला द्विपक्षीय चुनावी टक्कर (bipolar electoral clash) होता नजर आ रहा है, जिसमें कांग्रेस और बीजेपी के बीच सीधी टक्कर है। जेजेपी और आईएनएलडी जैसी पार्टियों की कमजोर उपस्थिति से बीजेपी को सीधा नुकसान हुआ है, क्योंकि उनके वोट शेयर का बड़ा हिस्सा कांग्रेस की ओर शिफ्ट हो गया है।
वोट शेयर बढ़ने के बावजूद सीटें घटने का कारण
बीजेपी के लिए सबसे बड़ा सवाल यही है कि वोट शेयर में बढ़त के बावजूद सीटों में गिरावट (increase in vote share but seat decline) क्यों हो रही है। इसका एक कारण यह है कि कुछ सीटों पर वोटरों का ध्रुवीकरण स्पष्ट नहीं हुआ है। इस बार के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला हुआ है, और ऐसे में तीसरी पार्टी के वोटर्स ने भी कांग्रेस को प्राथमिकता दी है।
जेजेपी और आईएनएलडी जैसे छोटे दलों की अप्रभावी उपस्थिति ने भी बीजेपी को नुकसान पहुंचाया है, क्योंकि इन दलों के वोट कांग्रेस की झोली में गए हैं। इसके अलावा, बीजेपी का संगठनात्मक ढांचा भी कुछ क्षेत्रों में कमजोर पड़ा है, जिससे उसकी सीटें कम होने का अनुमान है।
#HaryanaElection2024, #BJPRisingVotes, #ExitPollAnalysis, #CongressMajority, #BJPSeatsDecline
ये भी पढ़ें: BJP’s role in Jammu-Kashmir politics: जम्मू-कश्मीर में त्रिशंकु विधानसभा की आशंका, बीजेपी के दांव से बदलेगा समीकरण