BJP’s role in Jammu-Kashmir politics: जम्मू और कश्मीर का राजनीतिक खेल अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। 2024 के विधानसभा चुनाव में एग्जिट पोल के नतीजे सामने आ चुके हैं, और इसमें “कांग्रेस-एनसी गठबंधन” (Congress-NC alliance) को बढ़त दिखाई दे रही है।
लेकिन, यह बढ़त उनके लिए पूर्ण बहुमत में तब्दील होती नजर नहीं आ रही। 90 सीटों पर हुए इस चुनाव में “कांग्रेस-एनसी गठबंधन” (Congress-NC alliance) को 40 से 45 सीटों तक मिलने की उम्मीद जताई जा रही है, लेकिन बहुमत के लिए उन्हें 48 सीटों की दरकार है।
एग्जिट पोल के आंकड़े और सत्ता का समीकरण
जम्मू-कश्मीर के इस चुनाव में अब तक आए आंकड़ों के अनुसार, “कांग्रेस-एनसी गठबंधन” (Congress-NC alliance) बहुमत से कुछ सीटें पीछे रह सकता है। यह गठबंधन भले ही एग्जिट पोल में सबसे आगे है, लेकिन सत्ता की चाबी अभी पूरी तरह से इनके हाथ में नहीं है। बीजेपी की स्थिति भी काफी मजबूत दिख रही है और “जम्मू-कश्मीर की राजनीति में बीजेपी का खेल” (BJP’s role in Jammu-Kashmir politics) निर्णायक साबित हो सकता है।
इस चुनावी गणित में अभी कुछ सीटों पर बेहद कांटे की टक्कर है। यह टक्कर चुनावी नतीजों के समय बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस को जीत दिलाने वाली सीटों में से लगभग 10 सीटों पर संघर्ष इतना करीबी है कि किसी भी समय पांसा पलट सकता है।
बीजेपी का दांव: मनोनीत विधायक और सत्ता संघर्ष
जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए बने नए कानून के अनुसार, जब विश्वास मत के लिए वोटिंग होगी, तब सदन में 95 विधायक होंगे, जिनमें से 5 विधायकों को उप राज्यपाल द्वारा मनोनीत किया जाएगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय की सिफारिश पर उप राज्यपाल मनोज सिन्हा इन विधायकों के नामों को मंजूरी देने की तैयारी कर चुके हैं, लेकिन इस कदम का कांग्रेस कड़ा विरोध कर रही है।
कांग्रेस का तर्क है कि इन 5 विधायकों का मनोनयन नई सरकार बनने के बाद ही होना चाहिए। उनका कहना है कि मौजूदा सरकार इस निर्णय को प्रभावित कर सकती है, और बीजेपी इन विधायकों का इस्तेमाल करके सत्ता में वापसी का रास्ता साफ कर सकती है।
यह आरोप-प्रत्यारोप की लड़ाई चुनावी नतीजों के बाद और तीखी हो सकती है, क्योंकि अगर कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस बहुमत से चूक जाते हैं, तो यह 5 मनोनीत विधायक बीजेपी के लिए सत्ता हासिल करने का साधन बन सकते हैं।
एग्जिट पोल: अंतिम नतीजों तक की राह
एग्जिट पोल के आंकड़ों से कांग्रेस और नेशनल कांफ्रेंस को कुछ राहत मिली है, लेकिन अभी अंतिम नतीजों की घोषणा का इंतजार है। कई सीटों पर अभी संघर्ष जारी है और यह मुकाबला अंतिम क्षणों तक खिंच सकता है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि कश्मीर में “त्रिशंकु विधानसभा” (Hung Assembly) बनने की संभावना भी बनी हुई है। अगर ऐसा होता है, तो सत्ता का खेल और भी दिलचस्प हो सकता है।
इस चुनावी मुकाबले में नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के लिए फिलहाल सत्ता का सफर लंबा और चुनौतीपूर्ण नजर आ रहा है। हालांकि, बीजेपी को सत्ता हासिल करने के लिए भी अपनी रणनीति में बड़ा दांव खेलना पड़ेगा।
जम्मू-कश्मीर के इस चुनाव में आखिरी खेल अभी बाकी है और 8 तारीख के बाद ही साफ हो पाएगा कि किसके हाथ में सत्ता की चाबी आएगी।
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