Wayanad By Election 2024 battle: प्रियंका गांधी पहली बार वायनाड से चुनावी मैदान में उतरने जा रही हैं, जिससे राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। वायनाड सीट पर उपचुनाव की घोषणा के बाद कांग्रेस ने प्रियंका गांधी के नाम की घोषणा कर दी है, जो इसे एक हाई-प्रोफाइल सीट बना देता है। राहुल गांधी के इस सीट से इस्तीफा देने के बाद प्रियंका गांधी को टिकट दिया गया है, जो गांधी परिवार के लंबे राजनीतिक इतिहास का हिस्सा है।
गांधी परिवार और दक्षिण भारत का नाता
गांधी परिवार का दक्षिण भारत से चुनाव लड़ने का इतिहास नया नहीं है। 1978 में इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी के बाद कर्नाटक के चिकमंगलूर से चुनाव लड़ा था और भारी मतों से जीती थीं। फिर 1999 में सोनिया गांधी ने कर्नाटक के बेल्लारी से चुनाव लड़ा और भाजपा की सुषमा स्वराज को हराया। राहुल गांधी ने भी 2019 और 2024 के आम चुनाव में वायनाड को चुना था, और अब प्रियंका गांधी यहां से चुनावी रणभूमि में उतरने वाली हैं।
चुनावी संघर्ष: राहुल गांधी के जीत के अंतर को पार करेंगी प्रियंका?
प्रियंका गांधी के नाम की घोषणा के बाद राजनीतिक विश्लेषकों का ध्यान इस ओर है कि क्या प्रियंका राहुल गांधी के जीत के अंतर को पार कर सकती हैं। 2019 में राहुल गांधी को 65% वोट मिले थे और 4 लाख 31 हज़ार वोटों से जीते थे। वहीं, 2024 में राहुल गांधी को 60% वोट मिले और उनका जीत का अंतर घटकर 3 लाख 64 हज़ार वोट रह गया था। अब सवाल है कि प्रियंका गांधी इस जीत के अंतर को बढ़ा पाएंगी या नहीं?
बीजेपी और सीपीआई की रणनीति
वायनाड में प्रियंका गांधी की उम्मीदवारी से भाजपा और सीपीआई की चुनावी रणनीति पर भी नजरें टिकी हैं। 2024 के चुनाव में भाजपा को मात्र 1 लाख 41 हज़ार वोट मिले थे, जबकि सीपीआई की ऐनी राजा को 2 लाख 74 हज़ार वोट प्राप्त हुए थे। अब देखना होगा कि क्या भाजपा किसी बड़े चेहरे को मैदान में उतारती है या स्मृति ईरानी को ही उम्मीदवार बनाती है। वहीं, सीपीआई के भी किसी महिला उम्मीदवार को उतारने की संभावना जताई जा रही है।
प्रियंका गांधी के इस चुनावी सफर में कांग्रेस की प्रतिष्ठा और गांधी परिवार की चुनावी विरासत दांव पर है। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे राहुल गांधी की तरह वायनाड की जनता का विश्वास जीतकर एक बड़ी जीत दर्ज कर पाती हैं।
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