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Allegations Against Justice Gogoi: सुप्रीम कोर्ट में बवाल; जस्टिस गोगोई के खिलाफ आरोपों पर जज और वकील के बीच तीखी नोकझोंक

Allegations Against Justice Gogoi: सुप्रीम कोर्ट में बवाल; जस्टिस गोगोई के खिलाफ आरोपों पर जज और वकील के बीच तीखी नोकझोंक
Allegations Against Justice Gogoi: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में हाल ही में एक ऐसी घटना घटी जिसने न केवल अदालत कक्ष में तनाव पैदा किया, बल्कि न्यायालय और एक वकील के बीच की अनबन को लेकर एक बड़ी बहस को भी जन्म दिया। यह मामला पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई पर केंद्रित था, जिसके खिलाफ एक याचिका ने अदालत में गर्म माहौल पैदा कर दिया।

मामले की पृष्ठभूमि: याचिका पर विवाद कैसे शुरू हुआ?

सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस बेला त्रिवेदी और जस्टिस एससी शर्मा की पीठ के सामने वकील अरुण रामचंद्र हुबलीकर द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई हो रही थी। याचिका में हुबलीकर ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई (Ranjan Gogoi) के खिलाफ एक इन-हाउस जांच (In-House Inquiry) की मांग की थी। यह जांच उस फैसले से संबंधित थी जिसमें गोगोई ने एक सेवा विवाद से जुड़ी याचिका को खारिज कर दिया था, जिससे याचिकाकर्ता नाराज़ थे।

पीठ ने जब याचिका पर विचार करने से इनकार किया, तो सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में नोकझोंक शुरू हो गई। वकील हुबलीकर ने अदालत में कहा कि उनकी जिंदगी बर्बाद हो गई है, और वह न्याय की मांग कर रहे हैं। इस पर बेंच ने वकील की दलील को खारिज करते हुए स्पष्ट कर दिया कि कोर्ट उनके द्वारा लगाए गए आरोपों पर कोई कदम नहीं उठाने वाली है।

“हम जुर्माना लगाने जा रहे हैं, इस मामले में कुछ नहीं है।” – यह जस्टिस त्रिवेदी का बयान था जब हुबलीकर ने अपनी याचिका को जारी रखने पर ज़ोर दिया।

“मुझे मरने से पहले न्याय तो मिलना चाहिए”

हुबलीकर का बयान “मुझे मरने से पहले न्याय तो मिलना चाहिए” (Justice Before Death) ने अदालत में भावनाओं को और गहरा कर दिया। उन्होंने यह दावा किया कि जस्टिस गोगोई द्वारा एक फैसले में हस्तक्षेप के कारण उनकी जिंदगी तबाह हो गई है। लेकिन अदालत ने यह स्पष्ट किया कि इस मामले में कोई कानूनी आधार नहीं है और याचिका को खारिज करने का इरादा व्यक्त किया।

कोर्ट रूम में हुआ सुरक्षा का आह्वान

जब अदालत ने बार-बार याचिका खारिज करने की बात कही, तब वकील हुबलीकर की नाराज़गी बढ़ती चली गई। उन्होंने अदालत पर अन्याय का आरोप लगाया, और बेंच ने उन्हें शांत होने की चेतावनी दी। जस्टिस त्रिवेदी ने वकील की हरकतों को देखते हुए सुरक्षाकर्मियों को बुलाने का आदेश दिया। यह अदालत में एक दुर्लभ घटना थी, जहाँ किसी वकील को अदालत कक्ष से निकालने के लिए सुरक्षाकर्मियों की मदद ली गई हो।

वकील ने अदालत से पूछा, “मुझे क्यों बाहर निकाला जा रहा है? क्या न्यायालय में किसी न्यायाधीश के खिलाफ नोटिस जारी करना अपराध है?”

इस पर न्यायाधीश ने कहा, “सुरक्षाकर्मी कृपया इसे बाहर ले जाएं। हमें सुरक्षा व्यवस्था की जरूरत है, क्योंकि अगर आप एक शब्द और बोलते हैं, तो हम आपके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेंगे।”

इस पूरे घटनाक्रम के बाद, अदालत ने वकील को बाहर कर दिया और मामले को बिना किसी फैसले के खत्म कर दिया।

क्या था असली मुद्दा?

इस पूरे विवाद का केंद्र था जस्टिस गोगोई पर आरोप (Allegations Against Justice Gogoi), जिनके खिलाफ याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता का दावा था कि उनकी अवैध बर्खास्तगी के संबंध में जस्टिस गोगोई के फैसले ने उनके जीवन को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है। हालांकि अदालत ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और कोई कानूनी हस्तक्षेप करने से मना कर दिया।

“सुप्रीम कोर्ट विवाद” (Supreme Court Dispute) इस पूरे मामले में सबसे प्रमुख था, जहां अदालत और एक वकील के बीच के तनाव ने सुरक्षाकर्मियों को बुलाने तक की नौबत ला दी।

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