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Salman Khan के इस फेमस गाने के लिए Sharda Sinha को मिले थे सिर्फ 76 रुपये

शारदा सिन्हा
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मशहूर लोक गायिका और पद्म भूषण से सम्मानित शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) का 5 नवंबर को दिल्ली के एम्स अस्पताल में निधन हो गया। वे एक लंबी बीमारी के बाद इस दुनिया से विदा हो गईं। शारदा सिन्हा को उनके लोकप्रिय छठ गीतों के लिए देशभर में खास पहचान मिली थी। हालांकि, उनका संगीत केवल छठ गीतों तक सीमित नहीं था; उन्होंने बॉलीवुड में भी अपने अनोखे अंदाज से श्रोताओं के दिलों में जगह बनाई।

बॉलीवुड में शारदा सिन्हा का सफर
शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) ने बॉलीवुड में सलमान खान (Salman Khan) की फिल्म ‘मैंने प्यार किया ‘ के गीत “कहे तोसे सजना” से अपना डेब्यू किया था। इस गाने ने उनकी आवाज को ऑडियंस के बीच पहचान दिलाई और फिल्म के साथ-साथ शारदा सिन्हा भी फेमस हो गईं। ‘मैंने प्यार किया’, जो एक करोड़ रुपये के बजट में बनी थी, ने बॉक्स ऑफिस पर 45 करोड़ रुपये की शानदार कमाई की थी, और फिल्म कई रिकॉर्ड्स को तोड़ दिया था।

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मामूली मेहनताना, मगर गहरी छाप
हालांकि फिल्म ‘मैंने प्यार किया’  से अपनी पहचान बनाने वाली शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) को इस गाने के लिए केवल 76 रुपये मिले थे। ये रकम आज के हिसाब से मामूली लग सकती है, लेकिन उनकी आवाज ने जो प्रभाव छोड़ा, वो अमूल्य था। इसके बाद उन्होंने हम आपके हैं कौन में “बाबुल” गीत गाया और एक बार फिर लोगों का दिल जीत लिया। हालांकि, इसके बाद उन्होंने बॉलीवुड से कुछ समय के लिए दूरी बना ली और उत्तर भारत के लोकगीतों पर ध्यान केंद्रित किया।

वापसी और नए गीतों का सफर
शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) ने अपनी वापसी अनुराग कश्यप की फिल्म ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर ‘ में “तार बिजली के जैसे हमारे पिया” गाने के साथ की। ये गाना भी बहुत पसंद किया गया और शारदा सिन्हा की आवाज ने एक बार फिर धूम मचा दी। इसके अलावा, वेब सीरीज ‘महारानी  में हुमा कुरैशी पर फिल्माया गया “निर्मोहिया” गीत भी उनकी आवाज में ही है।

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कैंसर से हारी जिंदगी की जंग
कई वर्षों से एक तरह के ब्लड कैंसर से जूझने के बाद, 72 वर्ष की उम्र में शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) ने दुनिया को अलविदा कह दिया। उनके बेटे ने सोशल मीडिया पर उनके निधन की खबर साझा करते हुए कहा, “छठी मैया ने उन्हें अपने पास बुला लिया है। आपकी प्रार्थनाएं और प्यार हमेशा मेरी मां के साथ रहेगा।”

निश्चित रूप से शारदा सिन्हा (Sharda Sinha) का जाना भारतीय लोक संगीत के एक युग का अंत है। उनकी आवाज हमेशा हमारे दिलों में जिंदा रहेगी।

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