बांग्लादेश में हिरासत में लिए गए ISKCON के पुजारी चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार ने सभी को चौंका दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, बांग्लादेश सरकार ने उन्हें न केवल बुनियादी सुविधाओं से वंचित किया है, बल्कि उनके धार्मिक आचार-व्यवहार में भी बाधा पहुंचाई है। चिन्मय प्रभु, जो केवल प्रसाद ग्रहण करते हैं, उनके लिए ये भोजन जीवन का अनिवार्य हिस्सा है। लेकिन, प्रशासन ने उनके अनुयायियों द्वारा भेजे गए प्रसाद को भी उन तक पहुंचने नहीं दिया।
वैसे तो पुजारी को पहले भोजन प्राप्त करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन पूरे दिन उनका प्रसाद रोक दिया गया। इस दौरान, उनके सहायक और वकील उनके स्वास्थ्य और स्थिति का पता लगाने की कोशिश करते रहे, लेकिन उन्हें भी मिलने की अनुमति नहीं दी गई। ये व्यवहार न केवल क्रूरता को दर्शाता है, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों का स्पष्ट उल्लंघन भी है।
बता दें कि चिन्मय कृष्ण दास की वर्तमान स्थिति को लेकर कोई भी जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है, जिससे उनके भक्तों और अनुयायियों में गहरी चिंता और आक्रोश पैदा हो गया है। उन्हें दवा और भोजन जैसी बुनियादी सुविधाओं से वंचित करना न केवल एक अमानवीय कृत्य है, बल्कि ये उनके स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा भी बन सकता है।
निश्चित रूप से ये घटना धार्मिक स्वतंत्रता के हनन और धार्मिक साधुओं के प्रति असंवेदनशीलता का उदाहरण है। चिन्मय प्रभु के अनुयायियों ने उनकी सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय से हस्तक्षेप की अपील की है। भक्तों का मानना है कि इस मामले में न्याय होना चाहिए और उन्हें तत्काल मदद पहुंचाई जानी चाहिए।
गौरतलब है कि ये मामला केवल एक व्यक्ति का नहीं, बल्कि धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के संरक्षण पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। दुनिया भर में ISKCON से जुड़े लोग इस घटना पर गहरा रोष व्यक्त कर रहे हैं और चिन्मय कृष्ण दास की सुरक्षा और न्याय के लिए आवाज उठा रहे हैं। वैसे आपका इसपर क्या कहना है, हमें कमेंट कर जरूर बताएं।