ISKCON के प्रमुख संत चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी इन दिनों बांग्लादेश में चर्चा का केंद्र बने हुए हैं। हाल ही में उन्हें देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, जिसके बाद उनके अनुयायी सड़कों पर उतर आए हैं। जानकारी हो कि चिन्मय कृष्ण दास ने बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के बाद अल्पसंख्यक हिंदुओं पर हो रही हिंसा के खिलाफ एक मजबूत आवाज उठाई थी। उनकी गिरफ्तारी ने इस मुद्दे को और गर्म कर दिया है, और भारत ने भी इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर अपनी चिंता जताई है।
चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी कौन हैं?
चंदन कुमार धर, जिन्हें चिन्मय कृष्ण दास ब्रह्मचारी के नाम से जाना जाता है, सनातन जागरण मंच के प्रवक्ता और चटगांव ISKCON के प्रमुख हैं। वे चटगांव के सतकानिया उप-जिले से आते हैं और अपने धार्मिक भाषणों के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके भाषणों ने उन्हें कम उम्र में ही एक प्रमुख धार्मिक उपदेशक बना दिया था, जिसके कारण उन्हें ‘शिशु वक्ता’ का उपनाम भी मिला। वे 2016 से 2022 तक ISKCON चटगांव के मंडल सचिव रहे और 2007 से चटगांव के हथजारी में पुंडरीक धाम के प्रधानाचार्य भी रहे थे।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, चिन्मय कृष्ण दास को तीन महीने पहले ISKCON से निलंबित कर दिया गया था, हालांकि उनके अनुयायी और समर्थक अब भी उनका समर्थन करते हैं और उनके आंदोलन में शामिल हैं।
सनातन जागरण मंच और चिन्मय कृष्ण दास का योगदान
सनातन जागरण मंच, जो बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ता है, चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में उभरा था। ये मंच बांग्लादेश में हिंदू समुदाय पर हो रही हिंसा के खिलाफ सक्रिय रूप से आवाज उठा रहा है। 5 अगस्त 2024 को जब बांग्लादेश में हिंसा फैलने लगी, तो ये मंच हिंदुओं के अधिकारों की रक्षा के लिए सामने आया और चिन्मय कृष्ण दास को इसका प्रवक्ता नियुक्त किया गया। इसके बाद, चिन्मय ने चटगांव और रंगपुर में बड़ी रैलियां आयोजित की, जहां उन्होंने हिंदू समुदाय के अधिकारों पर कई भाषण दिए।
सनातन जागरण मंच की मांगें
सनातन जागरण मंच ने अक्टूबर 2024 से बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा और अधिकारों के लिए विरोध प्रदर्शन शुरू किए थे। चिन्मय कृष्ण दास के नेतृत्व में हिंदू समुदाय ने आठ प्रमुख मांगें उठाई, जिनमें अल्पसंख्यकों के खिलाफ अपराधों में शामिल लोगों पर मुकदमा चलाने के लिए न्यायाधिकरण का गठन, पीड़ितों को मुआवजा और पुनर्वास, अल्पसंख्यक संरक्षण कानून का पालन, और शैक्षिक संस्थानों में अल्पसंख्यक पूजा कक्षों की स्थापना जैसी मांगें शामिल हैं।
चिन्मय कृष्ण दास पर देशद्रोह का मामला
बांग्लादेश सरकार ने 25 अक्टूबर को चटगांव के न्यू मार्केट चौराहे पर राष्ट्रीय ध्वज के ऊपर भगवा झंडा फहराने के आरोप में चिन्मय कृष्ण दास और 18 अन्य लोगों के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज किया। 30 अक्टूबर को कोतवाली थाने में उन पर देशद्रोह के तहत मामला दर्ज किया गया।
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भारत का रुख
भारत ने बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों को लेकर गहरी चिंता जताई है। भारत के विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, “ये घटना बांग्लादेश में चरमपंथी तत्वों द्वारा हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों पर किए गए कई हमलों के बाद हुई है। अल्पसंख्यकों के घरों और व्यापारिक प्रतिष्ठानों में आगजनी, लूटपाट, तोड़फोड़ और मंदिरों को अपवित्र करने के कई मामले सामने आए हैं।” मंत्रालय ने बांग्लादेश सरकार से अपील की है कि वो हिंदुओं और अन्य अल्पसंख्यकों की सुरक्षा सुनिश्चित करे, और उनके शांतिपूर्वक एकत्र होने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का सम्मान करे।
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए इसे ‘बांग्लादेश का आंतरिक मामला’ कहा है, और भारत द्वारा दी गई प्रतिक्रिया का विरोध किया है।
निश्चित रूप से चिन्मय कृष्ण दास की गिरफ्तारी और उनके खिलाफ लगाए गए आरोप, बांग्लादेश में हिंदू अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्ष को और भी तीव्र बना सकते हैं। ये मामला न केवल धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों के उल्लंघन को उजागर करता है, बल्कि बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों के लिए एक गंभीर चेतावनी भी है। चिन्मय कृष्ण दास और उनके अनुयायी अब पूरी दुनिया से न्याय की उम्मीद कर रहे हैं, ताकि बांग्लादेश में सभी समुदायों को समान अधिकार मिल सके और कोई भी हिंसा का शिकार न हो।
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