अल्बर्ट आइंस्टीन, एक नाम जो विज्ञान के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। लेकिन उनकी जिंदगी का एक ऐसा हिस्सा भी है, जो उनके वैज्ञानिक योगदान से अलग है—उनका व्यक्तिगत जीवन। आइंस्टीन की चिट्ठियां (Einstein’s Letters), जो उन्होंने अपनी पहली पत्नी मिलेवा मैरिक को लिखी थीं, आज नीलामी में जाने वाली हैं। ये चिट्ठियां उनके प्यार, विचार और संघर्ष की झलक दिखाती हैं।
आइंस्टीन ने अपने पत्रों में मिलेवा को “डॉक्सर्ल” (दक्षिणी जर्मन बोली में “गुड़िया”) कहकर संबोधित किया। उन्होंने लिखा था, “मैं जानता हूं कि तुम मुझे सबसे ज्यादा प्यार करती हो और मुझे सबसे अच्छी तरह समझती हो।” ये शब्द बताते हैं कि उनके रिश्ते में प्यार और विश्वास का कितना गहरा नाता था।
आइंस्टीन और मिलेवा की प्रेम कहानी
आइंस्टीन और मिलेवा की प्रेम कहानी (Einstein and Mileva’s Love Story) एक सामान्य मुलाकात से शुरू होकर अद्वितीय विज्ञान और गहरे प्रेम की कहानी बनी। 1896 में, जब आइंस्टीन ने ज्यूरिख पॉलिटेक्निक में दाखिला लिया, तो उनकी मुलाकात मिलेवा से हुई। वे अपने कोर्स की इकलौती महिला थीं। मिलेवा न केवल एक बेहतरीन गणितज्ञ थीं, बल्कि उन्होंने आइंस्टीन के शुरुआती रिसर्च पेपर्स में भी मदद की।
1903 में दोनों ने शादी की। ये शादी प्यार से शुरू हुई, लेकिन धीरे-धीरे उनके रिश्ते में दरारें आने लगीं। उनकी तीन संतानें हुईं, लेकिन उनकी पहली संतान लिसेरल के बारे में बहुत कम जानकारी उपलब्ध है। माना जाता है कि लिसेरल 1903 में स्कार्लेट ज्वर के कारण चल बसी थी।
चिट्ठियों में छिपी कहानी
आइंस्टीन और मिलेवा के बीच की चिट्ठियां उनके रिश्ते के उतार-चढ़ाव की गवाह हैं। इन पत्रों में प्रेम के साथ-साथ उनके वैज्ञानिक कार्यों की झलक भी मिलती है। उन्होंने लिखा था, “मुझे गर्व होगा जब हम दोनों मिलकर सापेक्षता के सिद्धांत (Theory of Relativity) को अंजाम तक पहुंचाएंगे।”
इन चिट्ठियों से पता चलता है कि उनका रिश्ता न केवल भावनात्मक था, बल्कि उनके विचारों का भी आदान-प्रदान हुआ करता था। हालांकि, 1914 के बाद उनके रिश्ते में तनाव बढ़ने लगा।
नोबेल इनाम और तलाक की कहानी
1919 में दोनों ने तलाक ले लिया। उस समय जर्मनी में तलाक से पहले 5 साल तक अलग रहने का कानून था। तलाक के दौरान आइंस्टीन ने मिलेवा से वादा किया था कि अगर उन्हें नोबेल पुरस्कार मिलता है, तो वे पूरी इनामी राशि उन्हें देंगे। दो साल बाद, 1921 में जब आइंस्टीन को नोबेल मिला, तो उन्होंने अपना वादा निभाया।
नीलामी में जा रही चिट्ठियां
अब, उनकी 43 चिट्ठियां नीलामी के लिए तैयार हैं। इनमें उनके रिश्ते के निजी पहलू, लिसेरल की बीमारी और उनके वैज्ञानिक कार्यों का वर्णन मिलता है। इन चिट्ठियों की ऐतिहासिक और भावनात्मक कीमत अनमोल है।