Zakir Hussain Passes Away: भारत के मशहूर तबला वादक और संगीत जगत की महान शख्सियत उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने 15 दिसंबर 2024 को सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल में अपनी आखिरी सांस ली। जाकिर हुसैन निधन की खबर ने पूरे देश और संगीत प्रेमियों को गहरे शोक में डाल दिया है।
दिल की बीमारी से जूझ रहे थे जाकिर हुसैन
पिछले कुछ समय से जाकिर हुसैन दिल और ब्लड प्रेशर से जुड़ी गंभीर समस्याओं का सामना कर रहे थे। हाल ही में उनकी दिल की धमनियों में रुकावट के कारण डॉक्टरों ने स्टेंट लगाया था। पिछले हफ्ते उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया था, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उनका स्वास्थ्य बिगड़ता गया।
उनके निधन की खबर ने न सिर्फ भारत, बल्कि पूरी दुनिया के संगीत प्रेमियों को स्तब्ध कर दिया। उनके दोस्त और मशहूर बांसुरीवादक राकेश चौरसिया ने बताया कि वे लंबे समय से इस बीमारी से जूझ रहे थे और लगातार इलाज करा रहे थे।
बचपन से ही तबले का जादू
1951 में जन्मे जाकिर हुसैन को संगीत का हुनर विरासत में मिला। वे मशहूर तबला वादक उस्ताद अल्लाह रक्खा के बड़े बेटे थे। बचपन से ही तबले के प्रति उनका लगाव साफ झलकता था। उन्होंने अपने पिता के मार्गदर्शन में तबला वादन की बारीकियां सीखीं और जल्द ही इस क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बनाई।
संगीत की दुनिया में बेमिसाल सफर
उस्ताद जाकिर हुसैन का सफर (Journey of Ustad Zakir Hussain) प्रेरणादायक और बेमिसाल था। उन्होंने न सिर्फ भारतीय शास्त्रीय संगीत में बल्कि पश्चिमी संगीत में भी अपनी छाप छोड़ी। उन्होंने पंडित रवि शंकर, उस्ताद अमजद अली खान, जॉन मैकलॉफलिन, और जॉर्ज हैरिसन जैसे महान कलाकारों के साथ काम किया।
उनकी कला ने सीमाओं को पार किया। जाकिर हुसैन को संगीत जगत के सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। 1988 में उन्हें पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण जैसे सम्मानों से नवाजा गया। इसके अलावा, उन्होंने ग्रैमी अवॉर्ड भी जीता।
संगीत की विरासत और अमर धुनें
जाकिर हुसैन का तबला वादन एक जीवंत कला थी, जिसने न केवल भारत में बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी संगीत प्रेमियों को प्रेरित किया। उनकी धुनें और उनकी उंगलियों का जादू हमेशा संगीत प्रेमियों के दिलों में गूंजता रहेगा।
कर्नल राज्यवर्धन राठौर ने सोशल मीडिया पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “उस्ताद जाकिर हुसैन का तबला वादन संगीत की दुनिया में एक अमर विरासत छोड़ गया है। उनकी धुनें हमारे दिलों में हमेशा गूंजती रहेंगी।”
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