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Nehru Edwina Letters: नेहरू ने एडविना को ऐसा क्‍या लिखा है जिन खतों पर 75 साल बाद मचा है बवाल

Nehru Edwina Letters: नेहरू ने एडविना को ऐसा क्‍या लिखा है जिन खतों पर 75 साल बाद मचा है बवाल

Nehru Edwina Letters: नेहरू-एडविना के बीच लिखे गए पत्र, जो भारतीय इतिहास की धरोहर माने जाते हैं, इन दिनों एक बड़े विवाद का विषय बन गए हैं। इस विवाद की जड़ 2008 में सोनिया गांधी के निर्देश पर प्रधानमंत्री संग्रहालय से इन पत्रों को हटाया जाना है। प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय (PMML) ने हाल ही में कांग्रेस सांसद राहुल गांधी से इन पत्रों को सार्वजनिक करने की अपील की। सवाल यह है कि इन पत्रों में ऐसा क्या है जो आज, 75 साल बाद भी, चर्चा का विषय बना हुआ है?

नेहरू और एडविना के संबंध: प्रेम और सम्मान का प्रतीक

एडविना माउंटबेटन की बेटी पामेला हिक्स ने अपनी किताब “Daughter of Empire: Life as a Mountbatten” में नेहरू और एडविना के रिश्ते का जिक्र किया है। उन्होंने लिखा कि नेहरू और एडविना के बीच का रिश्ता गहरे सम्मान और स्नेह का था। यह रिश्ता 1947 में लॉर्ड माउंटबेटन के भारत आने के बाद शुरू हुआ। पामेला ने बताया कि एडविना ने नेहरू की बौद्धिकता और उदात्त भावनाओं को बहुत सराहा। हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह रिश्ता कभी निजी या एकांत का नहीं था, बल्कि हमेशा अन्य लोगों की उपस्थिति में ही सीमित था।

जब एडविना भारत छोड़कर जा रही थीं, तो नेहरू ने उन्हें विदाई देते हुए कहा था, “आप जहां भी गई हैं, सांत्वना लेकर गई हैं, आशा और प्रोत्साहन लेकर आई हैं। भारत के लोग आपको अपने में से एक मानते हैं।” इस बयान ने नेहरू की भावनात्मक गहराई और एडविना के प्रति उनके आदर को दर्शाया।

नेहरू के पत्रों में क्या है खास?

प्रधानमंत्री संग्रहालय ने दावा किया है कि नेहरू के इन पत्रों में न केवल एडविना, बल्कि जयप्रकाश नारायण, अल्बर्ट आइंस्टीन, पद्मजा नायडू और अन्य हस्तियों के साथ उनके संवाद शामिल हैं। इन पत्रों के जरिए नेहरू के विचार, उनकी नीतियां और स्वतंत्र भारत के निर्माण में उनकी भूमिका को बेहतर समझा जा सकता है।

पामेला हिक्स ने यह भी लिखा कि एडविना ने नेहरू को एक एमेराल्ड रिंग देना चाहा था, लेकिन उन्होंने इसे लेने से इनकार कर दिया। इसके बजाय, एडविना ने वह अंगूठी नेहरू की बेटी इंदिरा गांधी को दे दी। मौलाना अबुल कलाम आजाद ने अपनी आत्मकथा “India Wins Freedom” में भी लिखा है कि एडविना का नेहरू पर गहरा प्रभाव था। उन्होंने बताया कि नेहरू एडविना की बुद्धिमत्ता और व्यक्तित्व से बेहद प्रभावित थे।

विवाद क्यों उठा?

इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी से नेहरू के इन पत्रों को सार्वजनिक करने की अपील की। 2008 में सोनिया गांधी के निर्देश पर नेहरू से जुड़े 51 कार्टन पत्र संग्रहालय से हटा लिए गए थे। यह दावा किया गया है कि ये पत्र भारतीय इतिहास का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इन्हें शोध और अध्ययन के लिए उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

इतिहासकार रिजवान कादरी ने लिखा कि इन पत्रों में नेहरू और एडविना के संवाद के अलावा कई अन्य प्रमुख हस्तियों के पत्र भी शामिल हैं। उन्होंने राहुल गांधी को एक पत्र लिखकर इन दस्तावेजों की डिजिटल प्रतियां बनाने और इन्हें सार्वजनिक करने की मांग की है।

प्रधानमंत्री संग्रहालय की भूमिका और मांग

प्रधानमंत्री संग्रहालय का मानना है कि ये पत्र भारतीय इतिहास के एक महत्वपूर्ण दौर को समझने में मददगार हो सकते हैं। 2008 में सोनिया गांधी के निर्देश पर ये पत्र संग्रहालय से हटा लिए गए थे। संग्रहालय का कहना है कि इन दस्तावेजों को संरक्षित और डिजिटल रूप से उपलब्ध कराना चाहिए ताकि यह भविष्य की पीढ़ियों के लिए ज्ञान का स्रोत बन सके।

PMML ने यह भी बताया कि नेहरू के ये पत्र उनके आवास तीन मूर्ति भवन में संग्रहित किए गए थे, जो उनकी मृत्यु के बाद नेहरू स्मारक संग्रहालय बन गया। बाद में इसका नाम बदलकर प्रधानमंत्री संग्रहालय और पुस्तकालय रखा गया।

क्या है नेहरू परिवार का रुख?

अब तक नेहरू परिवार या कांग्रेस की ओर से इस पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, यह मामला केवल एक व्यक्तिगत मुद्दा नहीं है, बल्कि इससे भारतीय इतिहास के एक अहम हिस्से का खुलासा हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन पत्रों को सार्वजनिक करना इतिहासकारों और शोधकर्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम होगा।

क्या आगे होगा?

नेहरू-एडविना पत्र केवल एक व्यक्तिगत संवाद नहीं, बल्कि भारतीय स्वतंत्रता के बाद के सामाजिक और राजनीतिक परिदृश्य का एक महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं। अगर ये पत्र सार्वजनिक किए जाते हैं, तो यह नेहरू के विचारों और उनके समय की राजनीति को समझने का एक अनमोल स्रोत हो सकता है। लेकिन, इन पत्रों की संवेदनशीलता को देखते हुए इसे सावधानीपूर्वक संभालने की जरूरत है।

नेहरू और एडविना के बीच का संवाद न केवल उनके व्यक्तिगत रिश्ते को दर्शाता है, बल्कि यह भारत के इतिहास का एक अहम हिस्सा भी है। इन पत्रों को संरक्षित और शोध के लिए उपलब्ध कराना हर भारतीय के लिए इतिहास के प्रति एक नई दृष्टि प्रदान करेगा। हालांकि, इन दस्तावेजों को सार्वजनिक करने से पहले इनकी संवेदनशीलता और महत्व का ध्यान रखना भी जरूरी है।

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