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आदम और हव्वा ने कौन सा खाया था फल, क्या आप भी समझते हैं वो था सेब?

आदम और हव्वा
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आदम और हव्वा की कहानी धार्मिक ग्रंथों में एक प्रमुख स्थान रखती है। ईसाई, इस्लाम और यहूदी धर्मों के अनुसार, आदम और हव्वा को पहले मनुष्य के रूप में माना जाता है। उनके जीवन से जुड़ी सबसे चर्चित बात यह है कि उन्होंने एक ऐसा फल खाया जो वर्जित था। सवाल यह उठता है कि वह फल कौन सा था? इस लेख में हम इसी विषय पर विस्तार से चर्चा करेंगे।

वर्जित फल: क्या यह सच में सेब था?
“वर्जित फल” (Forbidden Fruit) की कहानी बाइबल और अन्य धार्मिक ग्रंथों में पाई जाती है। इसे “अच्छे और बुरे के ज्ञान का फल” कहा गया है। आदम और हव्वा को निर्देश दिए गए थे कि वे इस फल को नहीं खाएंगे, लेकिन उन्होंने इस नियम को तोड़ दिया। यह एक प्रतीकात्मक कहानी मानी जाती है जो मानव के पाप और नैतिक जिम्मेदारी को दर्शाती है। हालांकि, इन धार्मिक ग्रंथों में कहीं भी इस फल का नाम स्पष्ट रूप से नहीं बताया गया है।

लेकिन, पश्चिमी दुनिया में यह मान्यता बन गई कि वह फल सेब था। यह भ्रम लैटिन शब्द “मालुम” से आया, जिसका अर्थ सेब और पाप दोनों होता है। यही कारण है कि बहुत सी कलाओं और साहित्य में इसे सेब के रूप में दिखाया गया है।

क्या था असली फल?
धार्मिक ग्रंथों और विद्वानों के अनुसार, वर्जित फल के नाम को लेकर अलग-अलग धारणाएं हैं। बाइबल में इसे “पेरी” कहा गया है, जो हिब्रू भाषा में फल को संदर्भित करता है। लेकिन पेरी का मतलब कोई भी फल हो सकता है, जैसे अंगूर, अनार, अंजीर या गेहूं।

इस्लामिक मान्यताओं में भी फल का नाम नहीं बताया गया है। हालांकि, यह जरूर कहा गया है कि शैतान ने आदम और हव्वा को गुमराह किया था, जिससे उन्होंने यह फल खाया।

अंजीर का पक्ष मजबूत क्यों?
अंजीर को वर्जित फल के लिए एक प्रमुख दावेदार माना जाता है। बाइबल के अनुसार, जब आदम और हव्वा ने यह फल खाया, तो उन्हें अपनी नग्नता का एहसास हुआ और उन्होंने अंजीर के पत्तों से अपने शरीर को ढका। इस वजह से अंजीर को इस कहानी से जोड़ा जाता है।

अन्य फलों के दावे
वर्जित फल के रूप में अंगूर और अनार का भी नाम लिया गया है। अंगूर को वाइन बनाने के लिए उपयोग किया जाता है, जिससे कुछ विद्वानों ने इसे प्रतीकात्मक रूप से जोड़ा। वहीं, अनार को भी पवित्रता और पुनर्जन्म का प्रतीक माना गया है। कुछ मान्यताओं में केला और गेहूं का नाम भी आता है, लेकिन इनके पक्ष में ठोस प्रमाण नहीं हैं।

वर्जित फल की कहानी का संदेश
यह कहानी सिर्फ एक फल के बारे में नहीं है। यह मानवता के नैतिकता, स्वतंत्रता और जिम्मेदारी के सवालों को उठाती है। आदम और हव्वा की इस गलती को धर्मों में पाप की शुरुआत के रूप में देखा गया है। इस कहानी का मुख्य उद्देश्य यह समझाना है कि नियमों का पालन और नैतिकता कितनी महत्वपूर्ण है।

आदम और हव्वा ने कौन सा फल खाया, यह आज भी एक रहस्य है। यह सवाल धार्मिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। सेब, अंजीर, अंगूर या अन्य कोई फल, इन सबका प्रतीकात्मक महत्व है। लेकिन इस कहानी का असली अर्थ मानवता के नैतिक संघर्ष और नियमों के पालन में छिपा है।

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