महिला खतना (Female Genital Mutilation – FGM) एक प्राचीन प्रथा है जो दुनिया के कई हिस्सों में महिलाओं के लिए पीड़ा और दर्द का कारण बनती है। पाकिस्तान में, खासकर दाऊदी बोहरा समुदाय के बीच, ये प्रथा आज भी जारी है। इस प्रथा को लेकर समाज में विरोध बढ़ रहा है और सवाल उठाए जा रहे हैं कि क्या इसे खत्म किया जा सकता है। आइए सरल भाषा में इस संवेदनशील मुद्दे को समझने की कोशिश करते हैं।
महिला खतना (Female Circumcision) क्या है?
महिला खतना, एक प्रक्रिया है जिसमें महिलाओं के जननांग (Clitoris) को आंशिक या पूरी तरह से काट दिया जाता है। इसे धार्मिक, सांस्कृतिक या सामाजिक कारणों से किया जाता है। डॉक्टरों के अनुसार, ये प्रक्रिया बेहद खतरनाक है और इससे महिलाओं को शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं हो सकती हैं।
महिला खतना के दुष्परिणाम
FGM से महिलाओं में कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। ये न केवल दर्दनाक है, बल्कि इससे प्रजनन संबंधी जटिलताएं भी हो सकती हैं। क्लिटरस, जो महिला शरीर का सबसे संवेदनशील अंग होता है, को विकृत करने से महिलाओं की संवेदना पूरी तरह खत्म हो जाती है।
ये प्रक्रिया बिना किसी एनेस्थीसिया और बिना स्टरलाइज्ड उपकरणों के की जाती है, जिससे संक्रमण और अन्य घातक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
पाकिस्तान में महिला खतना की स्थिति
पाकिस्तान में ये प्रथा मुख्य रूप से दाऊदी बोहरा समुदाय में प्रचलित है। इस समुदाय की महिलाओं का खतना अक्सर निजी स्थानों पर या कभी-कभी चिकित्सा पेशेवरों द्वारा किया जाता है। हालांकि, इस प्रथा को लेकर अब आवाजें उठनी शुरू हो गई हैं। कई महिलाएं इस पर खुलकर बात कर रही हैं और इसे खत्म करने की मांग कर रही हैं।
कानून की कमी
पाकिस्तान में FGM को रोकने के लिए कोई विशेष कानून नहीं है। हालांकि, कुछ मौजूदा कानून, जैसे कि धारा 328A (बच्चों के प्रति क्रूरता) और धारा 333 (अंग-भंग) को सिद्धांत रूप में इस प्रथा के खिलाफ इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन अब तक इस मुद्दे पर कोई मामला दर्ज नहीं हुआ है।
दुनिया भर में महिला खतना का विरोध
पाकिस्तान के अलावा, दुनिया के अन्य हिस्सों में भी FGM का विरोध हो रहा है। गाम्बिया, सोमालिया और मिस्र जैसे देशों में इस प्रथा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हालांकि, दाऊदी बोहरा समुदाय के भीतर अभी भी इसे जारी रखने की वकालत की जा रही है।
क्या है समाधान?
महिला खतना जैसी प्रथाओं को खत्म करने के लिए जागरूकता और कानूनी कार्रवाई दोनों जरूरी हैं। महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में शिक्षित करना और इस मुद्दे पर खुलकर बात करना महत्वपूर्ण है। सरकार को भी इस प्रथा को अपराध घोषित करने के लिए विशेष कानून बनाने चाहिए।
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