Middle Class in India: भारत में मिडिल क्लास यानी मध्यवर्ग का आकार लगातार बढ़ रहा है। यह वर्ग देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ माना जाता है क्योंकि यह उत्पादन, खपत और सामाजिक बदलाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आमतौर पर, मिडिल क्लास उन लोगों को कहा जाता है जो न तो बहुत अमीर होते हैं और न ही बहुत गरीब, लेकिन अपनी बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के बाद थोड़ी-बहुत बचत कर सकते हैं और बेहतर जीवन के लिए प्रयासरत रहते हैं।
हर साल जब सरकार बजट पेश करती है, तो इस वर्ग के लिए कई घोषणाएं की जाती हैं, जिससे यह वर्ग और मजबूत हो सके। लेकिन असल में भारत में मिडिल क्लास की सही परिभाषा क्या है? इसकी जनसंख्या कितनी है? और यह देश के आर्थिक और सामाजिक ढांचे को कैसे प्रभावित करता है? आइए विस्तार से समझते हैं।
Middle Class in India: भारत में मिडिल क्लास की परिभाषा क्या है?
भारत में मिडिल क्लास की कोई सटीक सरकारी परिभाषा नहीं है, लेकिन विभिन्न अध्ययनों और रिपोर्टों के आधार पर इसे अलग-अलग तरीकों से परिभाषित किया जाता है।
1. आय के आधार पर परिभाषा
- कुछ आर्थिक शोध रिपोर्टों के अनुसार, जो लोग सालाना 5 लाख रुपये से 30 लाख रुपये कमाते हैं, वे मिडिल क्लास का हिस्सा माने जाते हैं।
- कुछ रिपोर्टें इसे 2 लाख रुपये से 10 लाख रुपये सालाना मानती हैं।
- 2022 में प्रकाशित पीपुल्स रिसर्च ऑन इंडियन कस्टमर (PRICE) रिपोर्ट के अनुसार, भारत में मिडिल क्लास वे लोग हैं जिनकी मासिक आय 1 लाख रुपये तक होती है।
- भारत सरकार के अनुसार, 8 लाख रुपये से कम आय वाले लोग आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) में आते हैं।
2. खर्च करने की क्षमता के आधार पर परिभाषा
- अभिजीत बनर्जी और एस्थर डुफ्लो के 2008 के अध्ययन के अनुसार, जो लोग रोजाना 2 डॉलर (160 रुपये) से 10 डॉलर (800 रुपये) तक खर्च करते हैं, वे मिडिल क्लास माने जाते हैं।
- यह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयोग की जाने वाली परिभाषा है, जो व्यक्ति की खर्च करने की क्षमता के आधार पर तय की जाती है।
भारत में मिडिल क्लास की जनसंख्या कितनी है?
2020-21 के आंकड़ों के अनुसार, भारत में मिडिल क्लास की जनसंख्या करीब 43.2 करोड़ थी, जो कुल जनसंख्या का लगभग 31% थी।
- PRICE की रिपोर्ट के अनुसार, 2022 में भारत में 43.2 करोड़ लोग मिडिल क्लास श्रेणी में आते थे।
- ऑक्सफोर्ड इकॉनॉमिक्स के अनुसार, 2022 में भारत में 46 करोड़ मिडिल क्लास नागरिक थे।
- पीयू रिसर्च सेंटर के अनुसार, कोविड-19 महामारी से पहले भारत की मिडिल क्लास जनसंख्या 9.9 करोड़ थी, जो महामारी के बाद घटकर 6.6 करोड़ हो गई।
मिडिल क्लास के बढ़ने से भारत में क्या बदलाव आया?
भारत में मिडिल क्लास के बढ़ने से आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक बदलाव तेजी से हो रहे हैं।
- आर्थिक क्षेत्र में योगदान
- मिडिल क्लास सबसे बड़ा उपभोक्ता वर्ग बन चुका है।
- रियल एस्टेट, ऑटोमोबाइल, टेक्नोलॉजी और हेल्थकेयर सेक्टर की तेजी से ग्रोथ इसी वर्ग की वजह से हो रही है।
- यह वर्ग टैक्स भरने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- सामाजिक बदलाव
- शिक्षा और स्वास्थ्य पर बढ़ता निवेश।
- नई टेक्नोलॉजी और डिजिटल सेवाओं को अपनाने में आगे।
- महिलाओं की भागीदारी और नौकरी के नए अवसरों में वृद्धि।
- राजनीतिक प्रभाव
- चुनावों में मिडिल क्लास की भूमिका बढ़ रही है।
- सरकारें अब इस वर्ग को ध्यान में रखते हुए आर्थिक नीतियां और बजट घोषणाएं करती हैं।
2025 के बजट में मिडिल क्लास के लिए क्या खास है?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2025 के बजट में मिडिल क्लास को ध्यान में रखते हुए कुछ महत्वपूर्ण फैसले लिए हैं:
- 12 लाख रुपये तक की आय पर कोई इनकम टैक्स नहीं।
- आयकर स्लैब में बदलाव, जिससे छोटे और मंझले आय वाले लोगों को राहत मिलेगी।
- TDS की सीमा बढ़ाई गई, जिससे छोटे निवेशकों को फायदा होगा।
- सरकार की नई स्वास्थ्य और हाउसिंग योजनाएं, जिनका सीधा लाभ मिडिल क्लास को मिलेगा।
क्या सरकार को मिडिल क्लास के लिए और ज्यादा करना चाहिए?
मिडिल क्लास भारत की आर्थिक रीढ़ है, लेकिन कई बार यह वर्ग सरकारी योजनाओं से बाहर रह जाता है।
- कर राहत और बचत योजनाएं: सरकार को इनकम टैक्स छूट की सीमा और बढ़ानी चाहिए ताकि ज्यादा से ज्यादा मिडिल क्लास लोग इसका लाभ उठा सकें।
- शिक्षा और स्वास्थ्य में सुधार: प्राइवेट स्कूल और अस्पताल महंगे होते जा रहे हैं, जिससे मिडिल क्लास को काफी मुश्किलें हो रही हैं। सरकार को सस्ते और बेहतर विकल्प उपलब्ध कराने चाहिए।
- घर खरीदने में मदद: सरकार को सस्ते लोन और रियल एस्टेट में रियायतें देकर मिडिल क्लास को घर खरीदने में मदद करनी चाहिए।
- नौकरी और व्यापार के अवसर: स्टार्टअप्स और छोटे व्यापारियों के लिए आसान लोन और टैक्स छूट जैसी योजनाएं लागू करनी चाहिए।
भारत का भविष्य मिडिल क्लास के हाथों में
भारत का मिडिल क्लास सिर्फ एक आर्थिक वर्ग नहीं, बल्कि समाज और देश की प्रगति की धारा है। आने वाले समय में यह वर्ग और मजबूत होगा और 2047 तक भारत की जनसंख्या का 61% हिस्सा बन सकता है।
लेकिन इसके लिए जरूरी है कि सरकार, कंपनियां और समाज मिलकर मिडिल क्लास की जरूरतों को समझें और उनके लिए नीतियां बनाएं। इससे देश की अर्थव्यवस्था तेज़ी से आगे बढ़ेगी और हर नागरिक को एक बेहतर जीवन जीने का मौका मिलेगा।
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