उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में प्रशासन द्वारा ईद के मौके पर सड़कों पर नमाज की अनुमति न देने के फैसले के बाद देशभर में इसको लेकर बहस छिड़ गई है। विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस मुद्दे पर अपनी राय जाहिर की है। इसी क्रम में महाराष्ट्र के समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी का बयान सामने आया है, जिसने इस विवाद को और हवा दे दी है।
अबू आजमी ने उठाए सवाल
अबू आजमी ने प्रशासन के फैसले पर सवाल उठाते हुए कहा कि कांवड़ यात्रा के दौरान जब भक्त सड़कों पर चलते हैं, तो उन पर फूल बरसाए जाते हैं। ऐसे में कुछ मिनटों के लिए नमाज अदा करने की अनुमति क्यों नहीं दी जा सकती? उन्होंने रामनवमी और होली का उदाहरण देते हुए कहा कि इन अवसरों पर भी लोग सड़कों पर उतरते हैं, लेकिन केवल मुसलमानों को ही निशाना बनाया जा रहा है।
वक्फ बिल पर भी दी प्रतिक्रिया
वक्फ संपत्तियों से जुड़े मुद्दे पर बात करते हुए अबू आजमी ने कहा कि वक्फ बिल में किसी भी प्रकार का संशोधन नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि ये जमीन सरकार की नहीं, बल्कि समुदाय की संपत्ति है। इससे पहले भी उन्होंने केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर मुसलमानों को निशाना बनाने का आरोप लगाया था।
मुसलमानों के खिलाफ नफरत का माहौल?
अबू आजमी ने देश में मुसलमानों के खिलाफ नफरत और अन्याय बढ़ने की बात कही। उन्होंने कहा कि बीते कुछ वर्षों में ऐसा माहौल बना दिया गया है कि मुसलमानों को हर चीज के लिए शक की नजर से देखा जाता है। उन्होंने सरकार से इस भेदभाव को खत्म करने की मांग की।
सार्वजनिक स्थानों पर नमाज: बहस जारी
गौरतलब है कि सार्वजनिक स्थानों पर नमाज अदा करना पिछले कुछ वर्षों से एक बड़े राजनीतिक मुद्दे के रूप में उभरा है। एक पक्ष का मानना है कि धार्मिक गतिविधियों को सार्वजनिक स्थानों पर करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए, जबकि दूसरा पक्ष तर्क देता है कि जब तक इससे किसी को असुविधा न हो, तब तक इसे विवाद नहीं बनाया जाना चाहिए। ये बहस आगे भी जारी रहने की संभावना है।
ये भी पढ़ें: औरंगजेब पर घमाशान के बीच राज ठाकरे ने कही बड़ी बात, बोले- Whatsapp इतिहास के झांसे में मत आना