IAS Property Disclosure: भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS Officers) के कई अधिकारी अपनी संपत्ति का विवरण तय समय सीमा के भीतर दाखिल नहीं कर रहे हैं। संसद की एक स्थायी समिति ने इस गैर-अनुपालन पर चिंता जताते हुए केंद्र सरकार को सख्त कार्रवाई (Strict Action on IAS) करने का सुझाव दिया है। रिपोर्ट के अनुसार, 2024 में 91 अधिकारियों ने अपनी अचल संपत्ति रिटर्न (Immovable Property Return, IPR) दाखिल नहीं की, जबकि 2023 में 73 अधिकारियों ने ऐसा किया था।
संसदीय समिति की रिपोर्ट में क्या कहा गया?
संसदीय समिति ने 27 मार्च 2025 को पेश की गई अपनी 145वीं रिपोर्ट में कहा कि समय पर संपत्ति का ब्योरा न देने वाले अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई होनी चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार, 2023 में 15, 2022 में 12 और 2021 में 14 अधिकारियों को आवश्यक सतर्कता मंजूरी नहीं दी गई क्योंकि उन्होंने अपने आईपीआर दाखिल नहीं किए थे। यह मंजूरी उन पदों के लिए अनिवार्य होती है जिन पर नियुक्ति के लिए अतिरिक्त पारदर्शिता की आवश्यकता होती है।
संपत्ति विवरण दाखिल करने की निगरानी के लिए नया तंत्र
समिति ने आईएएस अधिकारियों की जवाबदेही (IAS Accountability System) सुनिश्चित करने के लिए एक केंद्रीकृत निगरानी तंत्र बनाने की सिफारिश की है। यह तंत्र एक समर्पित कार्यबल के रूप में काम करेगा, जो सभी अधिकारियों के अनुपालन की निगरानी करेगा और तय समय पर रिटर्न दाखिल करने के लिए आवश्यक कदम उठाएगा। इसके अलावा, रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि बार-बार स्मरण पत्र भेजने के बावजूद आईपीआर दाखिल न करने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए।
आईएएस अधिकारियों की कमी और उसकी भरपाई पर जोर
रिपोर्ट में आईएएस अधिकारियों की संख्या में हो रही कमी को भी उजागर किया गया है। सरकार के अनुसार, फिलहाल 1,316 आईएएस अधिकारियों की कमी है, जिससे प्रशासनिक कार्यों पर असर पड़ रहा है। समिति ने इस समस्या के समाधान के लिए भर्ती प्रक्रिया (IAS Recruitment Process) को तेज करने की सिफारिश की है ताकि प्रशासनिक दक्षता बनी रहे।
डीओपीटी को ऑनलाइन ट्रैकिंग पोर्टल की सिफारिश
समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DoPT) राज्य सरकारों के लिए एक ऑनलाइन ट्रैकिंग और सबमिशन पोर्टल विकसित करे। यह पोर्टल राज्य सरकारों को अपने पदोन्नति संबंधी प्रस्ताव इलेक्ट्रॉनिक रूप से जमा करने, उनकी प्रगति को ट्रैक करने और समयसीमा का पालन सुनिश्चित करने में मदद करेगा।
इसके अलावा, रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि राज्यों की जवाबदेही (State Accountability for IAS Promotions) सुनिश्चित करने के लिए एक दंड प्रणाली अपनाई जानी चाहिए। जिन राज्यों में लगातार देरी हो रही है, उनके लिए पदोन्नति कोटे पर विचार करने की प्रक्रिया रोकी जा सकती है। इससे न केवल पूरी प्रणाली को व्यवस्थित किया जा सकेगा, बल्कि पदोन्नति और चयन प्रक्रिया को भी तेज किया जाएगा।
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