Palghar Murder: पालघर के पास्थल गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे इलाके को हिलाकर रख दिया। 36 वर्षीय अभिषेक राम सिंह की बेरहमी से हत्या (brutal murder) ने न केवल उनके परिवार को सदमे में डाल दिया, बल्कि यह भी दिखाया कि अपराध कितनी तेजी से छोटे समुदायों में अपनी जड़ें जमा सकता है। पालघर पुलिस की स्थानीय अपराध शाखा (Local Crime Branch) ने इस मामले को जल्दी सुलझाते हुए सात लोगों को हिरासत में लिया, जिनमें एक नाबालिग भी शामिल है। यह लेख इस हत्याकांड की कहानी को सरल और आकर्षक तरीके से नई पीढ़ी के पाठकों के लिए पेश करता है, ताकि वे इस घटना के पीछे की सच्चाई और पुलिस की मेहनत को समझ सकें।
15 मई 2025 की रात और 16 मई की सुबह के बीच, पास्थल के अंबट गोद ग्राउंड में यह भयानक घटना हुई। अभिषेक राम सिंह, जो मूल रूप से उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के रहने वाले थे, को एक तेज हथियार से सिर पर गंभीर चोटों के साथ मृत पाया गया। उनके पिता, राम कालिका सिंह, ने तुरंत तरापुर पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज की, जिसके बाद इस मामले को भारतीय न्याय संहिता (BNS) 2023 की धारा 103(1) के तहत दर्ज किया गया। इस हत्याकांड की गंभीरता को देखते हुए, पालघर के पुलिस अधीक्षक बालासाहेब पाटिल ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और स्थानीय अपराध शाखा (Local Crime Branch) के नेतृत्व में कई जांच टीमें गठित कीं।
पुलिस ने इस मामले को सुलझाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी। जांच टीमों ने घटनास्थल की बारीकी से जांच की, आसपास के लोगों से बात की, और सीसीटीवी फुटेज को खंगाला। उनकी मेहनत तब रंग लाई, जब उन्होंने वसई-विरार, सूरत (गुजरात), और दरभंगा-पटना (बिहार) तक अपनी जांच का दायरा बढ़ाया। मुखबिरों की सूचना और तकनीकी निगरानी के जरिए पुलिस ने सात संदिग्धों को हिरासत में लिया। इनमें भूषण सुरेश ढोडी (19), केतन रमेश शिनवार (20), रोहित संजय कावले (19), दिवेश संतोष सुतार (18), विशाल नंदू सोमन (23), साहिल राजेंद्र पवार (18), और एक 16 वर्षीय नाबालिग शामिल हैं। ये सभी पास्थल और बोइसर के आसपास के इलाकों के रहने वाले हैं।
जांच के दौरान, पुलिस को पता चला कि 15 मई की रात को ये सभी संदिग्ध नाबालिग के घर पर एक पार्टी में इकट्ठा हुए थे। आधी रात के आसपास, वे मोटरसाइकिलों पर सवार होकर बाहर निकले और अंबट गोद ग्राउंड पर पहुंचे, जहां अभिषेक राम सिंह सो रहे थे। वहां उन्होंने अभिषेक के साथ पहले गाली-गलौज शुरू की और फिर शारीरिक रूप से हमला किया। जब अभिषेक ने भागने की कोशिश की, तो उन्होंने उसका पीछा किया और हमला जारी रखा। एक संदिग्ध ने पीछे से लोहे की रॉड से उनके सिर पर वार किया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद, सभी संदिग्ध मौके से फरार हो गए।
पुलिस ने छह वयस्क संदिग्धों को 20 मई को औपचारिक रूप से गिरफ्तार कर लिया, जबकि नाबालिग के खिलाफ किशोर न्याय अधिनियम के तहत कार्रवाई की गई। जांच में अभी तक हत्या का सटीक मकसद स्पष्ट नहीं हुआ है, लेकिन पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि क्या यह हमला पुरानी दुश्मनी का नतीजा था। अभिषेक के परिवार के लिए यह एक बड़ा झटका है, खासकर उनके पिता राम कालिका सिंह के लिए, जिन्होंने अपने बेटे को खोने का दर्द सहा और न्याय के लिए पुलिस का दरवाजा खटखटाया।
यह मामला न केवल एक क्रूर हत्याकांड (brutal murder) की कहानी है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि कैसे छोटे समुदायों में अपराध की घटनाएं समाज को प्रभावित करती हैं। पालघर जैसे क्षेत्र में, जहां लोग एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते हैं, ऐसी घटनाएं विश्वास को तोड़ सकती हैं। पुलिस की त्वरित कार्रवाई ने यह सुनिश्चित किया कि संदिग्धों को जल्दी पकड़ा जाए, लेकिन यह घटना स्थानीय लोगों के लिए एक चेतावनी भी है कि अपराध किसी भी रूप में सामने आ सकता है।
पुलिस की जांच में तकनीकी निगरानी और मुखबिरों की भूमिका महत्वपूर्ण रही। सीसीटीवी फुटेज और स्थानीय लोगों की गवाही ने पुलिस को सही दिशा में ले जाया। इस मामले ने यह भी दिखाया कि अपराध से निपटने के लिए पुलिस को न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि अन्य राज्यों तक अपनी पहुंच बढ़ानी पड़ती है। सूरत और बिहार जैसे दूरदराज के क्षेत्रों तक जांच का विस्तार इस बात का सबूत है कि पालघर पुलिस ने इस मामले को कितनी गंभीरता से लिया।
अभिषेक राम सिंह की कहानी एक सामान्य व्यक्ति की है, जो अपने परिवार के लिए मेहनत कर रहा था, लेकिन एक रात में उसकी जिंदगी छिन गई। उनकी हत्या ने उनके परिवार को गहरा दुख दिया, और यह घटना समाज के लिए एक सबक है कि हिंसा और अपराध का कोई औचित्य नहीं हो सकता। पालघर पुलिस की मेहनत ने यह सुनिश्चित किया कि इस मामले में न्याय की प्रक्रिया शुरू हो सके, और संदिग्ध अब कानून के सामने जवाबदेह होंगे।