महाराष्ट्र

Pune Indrayani River Bridge Collapse: पुणे पुल हादसे के बाद जागी महायुति सरकार, अब पुराने ब्रिजों का होगा स्ट्रक्चरल ऑडिट

Pune Indrayani River Bridge Collapse: पुणे पुल हादसे के बाद जागी महायुति सरकार, अब पुराने ब्रिजों का होगा स्ट्रक्चरल ऑडिट

Pune Indrayani River Bridge Collapse: तलेगांव दाभाड़े के पास कुंडमाला, जो एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, वहां इंद्रायणी नदी पर बना एक पुराना लोहे का पुल (Pune Bridge Collapse) अचानक ढह गया। उस समय पुल पर करीब 100 से 120 लोग मौजूद थे, जो नदी के तेज बहाव को देखने और सेल्फी लेने के लिए जमा हुए थे। इस हादसे ने कई परिवारों की खुशियां छीन लीं। स्थानीय विधायक सुनील शेल्के के अनुसार, इस पुणे पुल हादसे (Pune Bridge Collapse) में 6 लोगों की मौत हो गई, जबकि 25 से 30 लोग नदी में बह गए।

यह हादसा दोपहर करीब 3:30 बजे हुआ, जब भारी बारिश के कारण इंद्रायणी नदी का जलस्तर पहले ही बढ़ा हुआ था। रविवार होने के कारण कुंडमाला में पर्यटकों की भीड़ थी। कई लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ इस खूबसूरत जगह का लुत्फ उठाने आए थे। कुछ लोग दोपहिया वाहनों के साथ पुल पर चढ़ गए, जिससे जर्जर पुल पर और दबाव बढ़ा। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, पुल अचानक तेज आवाज के साथ टूटा और कुछ ही सेकंड में नदी में समा गया। जो लोग पुल पर थे, उनके पास संभलने का मौका तक नहीं मिला। कई लोग नदी के तेज बहाव में बह गए, जबकि कुछ पत्थरों पर गिरकर गंभीर रूप से घायल हो गए।

घटना की सूचना मिलते ही स्थानीय पुलिस, एनडीआरएफ, और एसडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंचीं। बचाव कार्य (Rescue Operation) तुरंत शुरू किया गया। एनडीआरएफ की टीमों ने अब तक 51 लोगों को सुरक्षित निकाला, लेकिन कई लोग अभी भी लापता हैं। बचाव दल ने क्रेन की मदद से मलबे को हटाने की कोशिश की, क्योंकि कुछ लोगों के मलबे में फंसे होने की आशंका थी। पिंपरी-चिंचवड़ पुलिस के वरिष्ठ निरीक्षक प्रदीप रायणवार ने बताया कि एक व्यक्ति के मलबे में फंसे होने की संभावना है, और उसकी तलाश जारी है। स्थानीय गोताखोरों और आपदा मित्र स्वयंसेवकों ने भी बचाव कार्य में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

इस हादसे ने प्रशासन की लापरवाही को भी उजागर किया। बताया जाता है कि यह लोहे का पुल करीब 30 साल पुराना था और जंग लगने के कारण पहले से ही कमजोर हो चुका था। स्थानीय लोगों का कहना है कि पुल की खराब हालत के बारे में कई बार शिकायत की गई थी। तीन महीने पहले ही इसे वाहनों की आवाजाही के लिए बंद कर दिया गया था, लेकिन पर्यटकों के लिए कोई सुरक्षा घेरा या चेतावनी बोर्ड नहीं लगाया गया। एनसीपी विधायक सुनील शेल्के ने बताया कि यह पुल मूल रूप से किसानों के आवागमन के लिए बनाया गया था, लेकिन पर्यटकों और दोपहिया वाहनों के अत्यधिक भार के कारण यह हादसा हुआ।

पुणे पुल हादसे (Pune Bridge Collapse) के बाद महाराष्ट्र सरकार हरकत में आई। उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने मुख्य सचिव सुजाता सौनिक से बात की और राज्य भर के पुराने पुलों के स्ट्रक्चरल ऑडिट (Structural Audit) का आदेश दिया। उन्होंने घायलों को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोशल मीडिया पर बयान जारी कर कहा कि वह जिला कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, और तहसीलदार के संपर्क में हैं। उन्होंने बचाव कार्य को पहली प्राथमिकता बताया और सभी लापता लोगों को सुरक्षित निकालने की प्रतिबद्धता जताई।

मुख्यमंत्री कार्यालय ने यह भी घोषणा की कि हादसे में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिवार को 5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। इसके अलावा, घायलों के इलाज का पूरा खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी मुख्यमंत्री फडणवीस से बात कर स्थिति की जानकारी ली और एनडीआरएफ की तत्परता की सराहना की। राहुल गांधी और सुप्रिया सुले जैसे नेताओं ने भी हादसे पर दुख जताया और प्रशासन से तेजी से राहत कार्य करने की अपील की।

कुंडमाला, जो पुणे से करीब 30 किलोमीटर दूर एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है, मानसून के दौरान पर्यटकों के बीच खासा मशहूर है। भारी बारिश के कारण इंद्रायणी नदी का बहाव तेज हो जाता है, जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं। लेकिन इस हादसे ने इस खूबसूरत जगह को एक त्रासदी का गवाह बना दिया। स्थानीय लोगों में अब डर और गुस्सा है। कई लोगों का कहना है कि अगर समय रहते पुल की मरम्मत या प्रतिबंध लागू किया जाता, तो यह हादसा टाला जा सकता था।

बचाव कार्य (Rescue Operation) के दौरान कई मार्मिक कहानियां भी सामने आईं। एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि एक मां अपने बच्चे को बचाने के लिए चट्टानों पर चढ़ गई, लेकिन तेज बहाव में दोनों बह गए। एक अन्य परिवार ने अपने दो बच्चों को खो दिया, जो पुल पर सेल्फी ले रहे थे। इन कहानियों ने न केवल स्थानीय समुदाय, बल्कि पूरे देश को झकझोर दिया। एनडीआरएफ की टीमें दिन-रात लापता लोगों की तलाश में जुटी हैं, लेकिन नदी का तेज बहाव और गहराई उनके लिए चुनौती बना हुआ है।

यह हादसा उन कई घटनाओं की याद दिलाता है, जहां प्रशासनिक लापरवाही ने मासूम जिंदगियों को खतरे में डाला। 2022 में गुजरात के मोरबी में एक केबल ब्रिज के ढहने से 135 लोगों की मौत हो गई थी। उस हादसे के बाद भी पुलों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठे थे, लेकिन हालात में ज्यादा सुधार नहीं हुआ। पुणे के इस हादसे ने एक बार फिर पुराने और जर्जर ढांचों की जांच की जरूरत को रेखांकित किया।

जिला कलेक्टर जितेंद्र डूडी ने बताया कि हादसे के समय पुल पर कितने लोग थे, इसका सटीक आंकड़ा जुटाया जा रहा है। अब तक 32 लोग घायल पाए गए हैं, जिनमें से 6 की हालत गंभीर है। उन्हें नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वे नदी के किनारे न जाएं और अफवाहों पर ध्यान न दें।

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