Dharti Aaba Mission: पालघर के हरे-भरे जंगलों और आदिवासी गांवों के बीच एक नई सुबह की शुरुआत हुई है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पालघर में धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (Dharti Aaba Mission, धरती आबा मिशन) की शुरुआत की। यह अभियान आदिवासी समुदायों के लिए अब तक का सबसे बड़ा कदम है, जिसके लिए 80,000 करोड़ रुपये का भारी-भरकम बजट रखा गया है। यह योजना न केवल पालघर के 635 आदिवासी गांवों को बल्कि पूरे महाराष्ट्र के 32 जिलों को समृद्धि की राह पर ले जाएगी। यह खबर हर उस व्यक्ति के लिए खुशी की बात है, जो आदिवासी समुदायों के विकास और सम्मान की बात करता है।
इस अभियान का नाम आदिवासी नायक बिरसा मुंडा, जिन्हें धरती आबा के नाम से जाना जाता है, के सम्मान में रखा गया है। यह योजना सिर्फ आर्थिक मदद तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आदिवासी गांवों को हर तरह से सशक्त बनाने का वादा करती है। पालघर के उन गांवों में, जहां बरसों से बुनियादी सुविधाएं पहुंचना मुश्किल था, अब पक्की सड़कें, बिजली, पीने का पानी, गैस कनेक्शन, स्कूल और अस्पताल जैसी सुविधाएं पहुंचेंगी। इस अभियान के तहत 17 विभागों की 25 योजनाओं को एक साथ जोड़ा गया है, ताकि हर जरूरत को पूरा किया जा सके। चाहे वह बच्चों की पढ़ाई हो, महिलाओं का स्वास्थ्य हो, या युवाओं के लिए रोजगार, यह मिशन हर पहलू को छूता है।
पालघर के छोटे-छोटे गांव, जहां आदिवासी आबादी 500 से ज्यादा है या जहां 50% से ज्यादा लोग आदिवासी हैं, इस योजना का हिस्सा होंगे। इतना ही नहीं, पालघर और गढ़चिरोली जैसे जिलों में तो केवल 50 लोगों वाले छोटे आदिवासी बस्तियों को भी शामिल किया गया है। यह कदम दिखाता है कि सरकार हर एक आदिवासी परिवार तक पहुंचने के लिए कितनी गंभीर है। मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि यह मिशन आदिवासी समुदायों को उनका हक और सम्मान दिलाने का एक ऐतिहासिक कदम है। उनके शब्दों में यह योजना समावेशी विकास की मिसाल बनेगी।
इस अभियान का एक और खास हिस्सा है कौशल विकास। पालघर के 735 सरकारी स्कूलों में जल्द ही स्थानीय जरूरतों के हिसाब से वोकेशनल ट्रेनिंग शुरू होगी। खास तौर पर वधवान पोर्ट जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स के लिए युवाओं को तैयार किया जाएगा। कौशल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा ने बताया कि यह प्रशिक्षण नौकरी और उद्यमिता दोनों के लिए मददगार होगा। इसके अलावा, पीएम जनमन योजना के तहत मोखाडा और वाडा में नए स्कूल भवनों और रायटाले, आपटाले में बहुउद्देशीय केंद्रों का उद्घाटन भी किया गया। इन केंद्रों से गांवों में शिक्षा और सामुदायिक गतिविधियां बढ़ेंगी।
पालघर के लिए यह केवल शुरुआत है। वन मंत्री और जिले के संरक्षक मंत्री गणेश नाइक ने ऐलान किया कि आने वाले सालों में पालघर में 3 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा। इससे 10 लाख नौकरियां पैदा होंगी। यह खबर उन युवाओं के लिए सुनहरा मौका है, जो अपने गांव में ही रोजगार की तलाश में हैं। इसके साथ ही, वन विभाग ने 11 करोड़ पेड़ लगाने का लक्ष्य रखा है, जो अगले साढ़े चार साल में 250 करोड़ तक पहुंचेगा। नाइक ने यह भी कहा कि पालघर को प्लास्टिक-मुक्त और स्वच्छ जिला बनाया जाएगा। यह पर्यावरण और स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य के लिए एक बड़ा कदम है।
16 जून को मुख्यमंत्री फडणवीस ने पालघर के दुर्वेस गांव में जिला परिषद स्कूल का दौरा किया। 2025-26 शैक्षणिक सत्र की शुरुआत के मौके पर उन्होंने नए छात्रों का स्वागत किया। बच्चों को यूनिफॉर्म और किताबें दी गईं, और स्कूल के औषधीय बगीचे में पौधरोपण भी किया गया। माता-पिता से बातचीत में फडणवीस को पता चला कि डिजिटल बोर्ड और आधुनिक शिक्षण विधियों से बच्चों की पढ़ाई में रुचि बढ़ी है। एक अभिभावक ने बताया कि शिक्षकों की मेहनत और नई तकनीक ने उनके बच्चों को और उत्साहित किया है। मुख्यमंत्री ने शिक्षकों, शिक्षा अधिकारियों और अभिभावकों की इस मेहनत की तारीफ की।
पालघर में शिक्षा को और बेहतर करने के लिए 16 और 17 जून को 100 स्कूल विजिट पहल शुरू हुई। इस दौरान मंत्री, विधायक और वरिष्ठ अधिकारी 142 स्कूलों में गए। उनका मकसद स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ाना और पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारना था। इस पहल से स्कूलों में नया उत्साह देखने को मिला। शिक्षक और अभिभावक एक साथ मिलकर बच्चों के भविष्य को संवारने में जुट गए। यह दृश्य पालघर के हर गांव में बदलाव की कहानी कह रहा था।
यह अभियान सिर्फ इमारतें बनाने या सुविधाएं देने तक सीमित नहीं है। यह आदिवासी समुदायों की जिंदगी को सम्मान और आत्मनिर्भरता देने की बात करता है। पालघर के जंगलों में बसे गांव, जो कभी विकास की मुख्यधारा से दूर थे, अब नई रोशनी की ओर बढ़ रहे हैं। वधवान पोर्ट जैसे प्रोजेक्ट्स के साथ-साथ कौशल प्रशिक्षण और निवेश के मौके इस जिले को नई पहचान देंगे। यह योजना आदिवासी संस्कृति और परंपराओं को संजोते हुए उन्हें आधुनिकता से जोड़ने का काम करेगी।
पालघर के लोग इस बदलाव को देखकर उत्साहित हैं। गांव की गलियों में अब सिर्फ मिट्टी की सड़कें नहीं, बल्कि सपनों के रास्ते बन रहे हैं। बच्चे स्कूल में डिजिटल बोर्ड पर पढ़ रहे हैं, युवा नौकरियों की तैयारी कर रहे हैं, और बुजुर्ग अपने गांव में बिजली और पानी की सुविधा देखकर खुश हैं। धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान (Tribal Development Mission, आदिवासी विकास मिशन) सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि पालघर और महाराष्ट्र के आदिवासी समुदायों के लिए नई जिंदगी का वादा है।