बिहार के समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर प्रखंड में सिंघिया घाट पर नागपंचमी का मेला धूमधाम से मनाया गया। इस मेले में आस्था और परंपरा का ऐसा रंग देखने को मिला कि हर कोई हैरान रह गया! सैकड़ों श्रद्धालु मां विषहरी की पूजा करने और सांपों के साथ शोभायात्रा में शामिल होने के लिए एकत्र हुए। ये मेला न केवल धार्मिक उत्साह का प्रतीक है, बल्कि मिथिला क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत को भी दर्शाता है।
मां भगवती मंदिर से शुरू हुआ उत्सव
मेले की शुरुआत सिंघिया बाजार स्थित मां भगवती मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ हुई। इसके बाद श्रद्धालु बूढ़ी गंडक नदी के तट पर पहुंचे, जहां उन्होंने सांपों को अपने गले, बांहों, सिर या हाथों में लपेटकर शोभायात्रा निकाली। बच्चे, युवा और बुजुर्ग, सभी इस अनोखी परंपरा का हिस्सा बने। इस नजारे का वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो रहा है, जिसमें लोग सांपों को लपेटे हुए और लकड़ी की छड़ियों पर सांपों को सजाकर चलते नजर आ रहे हैं।
सदी पुरानी परंपरा, माता विषहरी की पूजा
ये मेला मिथिला क्षेत्र की एक प्राचीन परंपरा का हिस्सा है, जो सैकड़ों वर्षों से चली आ रही है। श्रद्धालु माता विषहरी का जाप करते हैं और परिवार की सुख-समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं। कुछ लोग सांपों को मुंह में पकड़कर करतब दिखाते हैं, जो देखने वालों को आश्चर्यचकित कर देता है। पूजा के बाद सांपों को पास के जंगलों में सुरक्षित छोड़ दिया जाता है। ये मेला खगड़िया, सहरसा, बेगूसराय और मुजफ्फरपुर जैसे जिलों से भी लोगों को आकर्षित करता है।
महिलाओं की विशेष पूजा, गहवर में प्रार्थना
मेले में महिलाएं गहवर (पवित्र बाड़े) में विशेष पूजा करती हैं। वे नाग देवता से अपने परिवार के स्वास्थ्य और सुरक्षा की कामना करती हैं। मनोकामना पूरी होने पर श्रद्धालु कृतज्ञता स्वरूप झाप (प्रसाद) चढ़ाने लौटते हैं। खास बात ये है कि इस मेले में अब तक सर्पदंश या किसी के घायल होने की कोई घटना सामने नहीं आई है, जो इस आयोजन की सावधानी और श्रद्धा को दर्शाता है।
सोशल मीडिया पर छाया मेला
सांपों के साथ शोभायात्रा और मेले के रंग-बिरंगे दृश्यों ने सोशल मीडिया पर खूब सुर्खियां बटोरी हैं। वायरल वीडियो में लोग सांपों के साथ निडर होकर चलते दिख रहे हैं। हालांकि, इन वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं की गई है, फिर भी ये मेला लोगों के बीच चर्चा का विषय बना हुआ है।
नागपंचमी का ये मेला न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि बिहार की समृद्ध सांस्कृतिक परंपराओं को भी जीवंत रखता है। क्या आपने कभी ऐसे अनोखे मेले में हिस्सा लिया है? अपनी राय हमें जरूर बताएं!
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