राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में 70 से अधिक मुस्लिम मौलवियों और बुद्धिजीवियों के साथ एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। इस मुलाकात पर शिवसेना (UBT) प्रमुख उद्धव ठाकरे ने अपने मुखपत्र सामना में एक संपादकीय लिखा, जिसमें उन्होंने इस कदम को “राष्ट्र निर्माण” के लिए जरूरी संवाद बताया। हालांकि, उन्होंने भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कट्टर हिंदुत्ववादी गुटों पर भी जमकर निशाना साधा।
तीन घंटे की बैठक में धार्मिक तनाव पर चर्चा
सामना के संपादकीय के अनुसार, मोहन भागवत की ये बैठक केवल औपचारिक चाय-पान तक सीमित नहीं थी। करीब तीन घंटे तक चली इस मुलाकात में देश में बढ़ते धार्मिक तनाव पर गंभीर चर्चा हुई। ठाकरे ने लिखा कि भागवत ने इस दौरान मुस्लिम समुदाय की भावनाओं और उनकी भूमिका को समझने की कोशिश की। ये कदम उन BJP नेताओं को पसंद नहीं आएगा, जो हिंदुत्व के नाम पर उग्र बयानबाजी और उत्पात मचाते हैं।
संपादकीय में ठाकरे ने तंज कसते हुए कहा, “उत्तर प्रदेश, असम, महाराष्ट्र और दिल्ली जैसे राज्यों में कुछ नव-हिंदुत्ववादियों ने हाल के समय में हिंदुत्व के नाम पर अराजकता फैलाई है। उन्हें RSS प्रमुख का ये कदम शायद बर्दाश्त नहीं होगा। ऐसे नेता, जो मुसलमानों के खिलाफ जहर उगलते हैं, शायद इस मुलाकात के बाद इस्तीफा तक दे दें।”
केंद्र सरकार पर धार्मिक विभाजन का आरोप
उद्धव ठाकरे ने अपने लेख में केंद्र सरकार पर भी गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार देश को धार्मिक आधार पर बांटने की कोशिश कर रही है। ठाकरे ने दावा किया कि दलितों, ईसाइयों और मुसलमानों को मतदान के अधिकार से वंचित करने की साजिश रची जा रही है। खासकर बिहार और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में अल्पसंख्यकों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जा रहे हैं। उन्होंने इसे “महान हिंदुत्ववादियों” की नहीं, बल्कि “पाखंडियों” की चाल करार दिया।
“हम सब एक ही नाव में सवार हैं”
ठाकरे ने मोहन भागवत की इस पहल को सराहते हुए इसे और आगे बढ़ाने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि भारत में सभी धर्मों के लोगों का DNA एक जैसा है और देश एक सामाजिक नाव की तरह है। अगर ये नाव डूबी, तो सभी समुदाय प्रभावित होंगे। ठाकरे ने भागवत के इस कदम को “राष्ट्र निर्माण” की दिशा में एक सकारात्मक प्रयास बताया और कहा कि ऐसे संवादों का स्वागत किया जाना चाहिए।
BJP के लिए चुनौती?
सामना का ये संपादकीय BJP के उन नेताओं के लिए एक चुनौती की तरह देखा जा रहा है, जो कट्टर हिंदुत्व की राजनीति करते हैं। ठाकरे ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि धार्मिक तनाव बढ़ाने वाले नेताओं को भागवत का ये कदम सबक सिखाएगा। ये लेख न केवल RSS और BJP के बीच वैचारिक मतभेदों को उजागर करता है, बल्कि देश में सामाजिक सौहार्द के लिए संवाद की जरूरत पर भी जोर देता है।
मोहन भागवत की मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मुलाकात और उद्धव ठाकरे का इस पर लिखा गया संपादकीय देश में एक नई बहस को जन्म दे सकता है। ये कदम जहां एक ओर सामाजिक एकता की दिशा में सकारात्मक संदेश देता है, वहीं BJP के भीतर कट्टरवादी ताकतों के लिए एक चुनौती भी बन सकता है।